काव्य/कविता/शायरी:”पर वो न मिली”

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हम तुम्हारे शहर में आये पर तुम न मिली, मगर तुम हमें वहाँ किसी अक्स में न मिली,
कलियों पर भौंरे मंडराती तितलियां मिली, पर तुम्हारी जैसी नजाकत वाली न मिली !
थड़ी पर सिकोरे में अदरक वाली चाय मिली, जहाँ बैठ तुम पीती वो जगह खुश न मिली!
चहकती चिड़ियाएं बहकी फ़िजाएँ मिली , मगर वो तुम्हारे ठहाके वाली हँसी न मिली !
हवा में उड़ते हुए फूलों की पंखुड़ियां मिली, जिस कली को छुआ था मैंने वो न मिली!
#गोविंद नारायण शर्मा