नावाचार के माध्यम से प्राचीन ज्ञान को वर्तमान पीढी की शब्दावली में प्रस्तुत करना ही संगोष्ठी की सार्थकता- हनुमान सिंह राठौड़

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शाहपुरा 31 जनवरी(केकड़ी पत्रिका न्यूज) श्री प्र.सिं.बा.राजकीय महाविद्यालय, शाहपुरा एवं अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘वैश्विक संदर्भ में भारतीय ज्ञान परम्परा: अन्तर्दृष्टि और नवाचार‘‘ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न हुई जिसमें मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता हनुमान सिंह राठौड़, क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य, राजस्थान क्षेत्र, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अध्यक्षता प्रो. सुशील कुमार बिस्सू अखिल भारतीय सेवा आयाम प्रमुख, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा की गयी।

हनुमान सिंह राठौड़ ने अपने उद्बोधन में बताया कि भारत में ज्ञान के भण्डार है किन्तु हम बाहर ज्ञान को खोज रहे है आज की आवश्यकता इस बात की है नावाचार के माध्यम से प्राचीन ज्ञान को वर्तमान पीढी की शब्दावली में लाकर प्रस्तुत करना होगा तभी संगोष्ठी की सार्थकता सिद्ध होगी। अध्यक्षीय उद्बोधन में सुशील कुमार बिस्सू ने कहा कि व्यक्ति को भारतीय ज्ञान एवं परम्परा में सम्भावनाओं को खोजने की आवष्यकता है विभिन्न धार्मिक आयोजनों द्वारा व्यक्ति का भाव अंहकार का त्याग करना होता है।

इससे पूर्व तकनीकी सत्र में प्रो. कमलेश कुमार शर्मा, प्रो-प्रेसिडेंट, ज्योति विद्यापीठ महिला वि.वि. जयपुर ने जीवन के संकल्प में लोक कल्याण की बात पर जोर देते हुए व्यावहारिक ज्ञान के बारे में खान-पान, रहन-सहन, के नियमों को रेखांकित करते हुए आयुर्वेद का महत्व बताया। प्रो.संतोष आनन्द ने शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा मनुष्य को एकाकी नहीं अपितु सामाजिक सरोकार से जोड़ती है।

इस अवसर पर अतुल कुमार जोशी द्वारा लिखित पुस्तक नगरीय भूगोल का विमोचन किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी संयोजक प्रो. धर्मनारायण वैष्णव ने आभार व्यक्त किया एवं समारोह का संचालन कांफ्रेंस आयोजन सचिव डॉ. ऋचा अगिरा एवं प्रो. दिग्विजय सिंह ने किया।

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