चित्तौड़‌गढ़ साहित्य उत्सव – 2025 : सर्वगुण सम्पन्न है सिन्धु संस्कृति – डॉ लाल थदानी

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चित्तौड़गढ़ 20 जनवरी(केकड़ी पत्रिका न्यूज) सिन्धु संस्कृति सर्वगुण सम्पन्न है क्योंकि सिंध की पावन भूमि वैदिक और हिंदू संस्कृति और प्राचीन सभ्यता का केंद्र रही है। यह बता तीन दिवसीय चित्तौड़गढ़ साहित्य उत्सव में पहली बार आयोजित सिंधी सत्र में मुख्य अतिथि राजस्थान सिन्धी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष और राष्ट्रीय सिन्धी समाज के राष्ट्रीय महासचिव डॉ लाल थदानी ने कही।

प्रारंभ में इस आयोजन के संयोजक चित्तौड़गढ़ के वरिष्ठ पत्रकार अनिल सक्सेना ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि पूर्वजों की भल मानस्ता के चलते और अखंड भारत का दिवा स्वप्न लिए हमें सिंध प्रदेश का त्याग करना पड़ा । अब नई पीढ़ी का दायित्व बनता है कि वे पुरानी पीढ़ी के दिशा निर्देश पर सिंधी बोली,साहित्य, संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के प्रयास जारी रखें ।

कोटा के वरिष्ठ लेखक भारतीय सूचना सेवा के पूर्व अधिकारी और प्रधानमंत्री कार्यालय में निदेशक रहे किशन रतनानी ने सिंधी बाल साहित्य पर पत्र वाचन करते हुए कहा की सिंधी बाल साहित्य की सभी विधाओं में
कहानियों, कविताओं, नाटक, बच्चों की पत्रिकाओं के जरिए बहुत कुछ ऐसा लिखा गया है जिसका सीधा असर संस्कृति पर पड़ता है।

आज की आवश्यकता और जरूरत

राष्ट्रीय सिन्धी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष, उदयपुर के पत्रकार व सिंधी फिल्मों से जुड़े कलाकार कमल वरदानी ने केंद्रीय और राज्य सरकारों से सिंधी अकादमियों के गठन, सिंधी फिल्मों कलाकारों और सिंधी अखबारों के प्रोत्साहन और सुरक्षा की आवश्यकता जताई । चित्तौड़गढ़ लॉ कॉलेज के युवा प्राचार्य डॉ राजेश खटवानी को भी आमंत्रित किया गया था। संचालन चित्तौड़गढ़ के ही सिंधी समाज के मीडिया प्रमुख योगेश भोजवानी ने संभाला।

देश भर के कवि और लेखको ने की शिरकत

इस आयोजन के संयोजक चित्तौड़गढ़ के वरिष्ठ पत्रकार अनिल सक्सेना ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और बताया कि साहित्य उत्सव प्रदेश में दूसरी बार आयोजित किया जा रहा है जिसमें देश भर के लगभग 40 कवि और लेखक शामिल हुए।

युवाओं को किया आह्वान

अब नई पीढ़ी का दायित्व बनता है कि वे पुरानी पीढ़ी के दिशा निर्देश पर सिंधी बोली , साहित्य, संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के प्रयास जारी रखें ।

कोटा के वरिष्ठ लेखक भारतीय सूचना सेवा के पूर्व अधिकारी और प्रधानमंत्री कार्यालय में निदेशक रहे किशन रतनानी ने सिंधी बाल साहित्य पर पत्र वाचन करते हुए कहा की सिंधी बाल साहित्य की सभी विधाओं में कहानियों, कविताओं, नाटक, बच्चों की पत्रिकाओं के जरिए बहुत कुछ ऐसा लिखा गया है जिसका सीधा असर संस्कृति पर पड़ता है।

राष्ट्रीय सिन्धी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष, उदयपुर के पत्रकार व सिंधी फिल्मों से जुड़े कलाकार कमल वरदानी ने केंद्रीय और राज्य सरकारों से सिंधी अकादमियों के गठन, सिंधी फिल्मों , कलाकारों और सिंधी अखबारों के प्रोत्साहन और सुरक्षा की आवश्यकता जताई । चित्तौड़गढ़ लॉ कॉलेज के युवा प्राचार्य डॉ राजेश खटवानी को भी आमंत्रित किया गया था। संचालन चित्तौड़गढ़ के ही सिंधी समाज के मीडिया प्रमुख योगेश भोजवानी ने संभाला।

हमारे संवाददाता हंसराज खारोल की विशेष रिपोर्ट

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