22 October 2025

शायरी/गजल/काव्य: “सब एक जैसे तो नहीं हो सकते”

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सारे के सारे तो यहां कलंदर नही हो सकते,
जुदा अंदाज सबका एक से नही हो सकते!

कोई थोड़े को बहुत दिखाता कोई छुपा लेता,
सबके तजुर्बे अलग एक तो नही हो सकते!

मोहब्बत में दिखावा बहुत देखा यहाँ हमने,
कातिल निगाहे के इरादे नेक नही हो सकते!

प्यार का दरख़्त हम उगाएंगे कहां जाने मन,
पेड़ नीचेउगे सब बीज रुख नही हो सकते!

रिश्ता निभा देखूँ हसीं दुनिया तेरी आँखों से,
क्षितिज सिवा जमीं अम्बर एक नही हो सकते!

बगुले हंस की चाल तो चल सकते मगर,
नीरक्षीर पृथक करे विवेकी नही हो सकते!

सत्यवादी होने का दम भरने वाले बहुत है,
वचन हेतु बिके ऐसे हरिश्चंद्र नही हो सकते!

गोविंद नारायण शर्मा

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