हर्षोल्लास से मनाया भगवान ऋषभदेव का जन्म एवं तप कल्याणक महामहोत्सव

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(स्वर्ण व रजत कलशों से अभिषेक – शांतिधारा, आदिनाथ महामंडल विधान पूजन सहित किया गया रिद्धि सिद्धि मंत्रो द्वारा भक्तामर स्तोत्र पाठ)

केकड़ी 04 अप्रैल (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल) शहर के बोहरा कालोनी पाण्डुकशिला स्थित ऋषभदेव जिनालय पर दिगम्बर जैन समाज के सानिध्य में एवं ऋषभदेव जिनालय कमेटी के तत्वावधान में बुधवार को जैन धर्म के इस युग के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव भगवान का जन्म एवं तप कल्याणक महामहोत्सव दिवस उत्साह,हर्षोल्लास,धूमधाम से मनाया गया।

समाज के प्रवक्ता नरेश जैन ने बताया कि अलसुबह 5.15 बजे शुभकामना परिवार एवं स्वस्ति बालिका मंडल के सानिध्य में प्रभातफेरी निकाली गई। प्रातः श्रद्धालुओं ने श्वेत एवं पीत वस्त्र धोती दुपट्टा धारण कर अभिषेक पाठ के मंत्रोच्चारण के बीच भगवान ऋषभदेव का प्रासुक जल से भरे स्वर्ण एवं रजत कलशों से अभिषेक किया।

विश्व में सभी प्रकार से सभी जीवों को शांति, समृद्धि,आरोग्यता, सुख प्राप्ति होवे ऐसी मंगलमयी भावना लिए सौभाग्यशाली मुख्य श्रेष्टी पात्रों द्वारा शांतिधारा के मंत्रोच्चार के बीच शांतिधारा की गई। पश्चात् भगवान को अर्ध्य समर्पित किए। जन – जन की श्रद्धा के धारी भगवान ऋषभदेव की शांतिधारा देखते हुए श्रद्धालु हाथ जोड़कर भावों से श्रद्धा सुमन समर्पित करते हुए अपना जीवन धन्य कर रहे थे।

निकाली गई भव्य शोभायात्रा: प्रातः सवा आठ बजे बैंड-बाजे, ढोल-ढमाको के साथ ऋषभदेव जिनालय व आदिनाथ मंदिर से दो रथों पर श्री आदिनाथ भगवान की प्रतिमाएं विराजित कर नगर परिभ्रमण हेतु भव्य रथयात्रा निकाली गई। रथयात्रा में आगे दो घोड़ों पर धर्म ध्वजा लिए बच्चे सवार थे। रथयात्रा बोहरा काॅलोनी स्थित ऋषभदेव जिनालय से प्रारंभ होकर जूनिया गेट, आदिनाथ मंदिर,धंटाधर,चन्द्रप्रभु चैत्यालय, पार्श्वनाथ मंदिर,सब्जी मंडी,गणेश प्याऊ,सदर बाजार,खिड़की गेट,अजमेरी गेट से पुनः धंटाधर होते हुए वापिस ऋषभदेव जिनालय पहुंची। जहां नगर परिभ्रमण से वापिस पहुंचे श्री जी का जलाभिषेक किया गया।

जगह-जगह किया स्वागत: समाज जनों ने रथयात्रा का जगह-जगह स्वागत किया व जिनेन्द्र प्रभु को श्रीफल भेंट किए। जुलूस में पुरुष वर्ग श्वेत एवं महिला वर्ग केसरिया परिधान में भजनों की प्रस्तुतियो पर प्रभु भक्ति में नाचते गाते चल रहे थे। भगवान के रथ को उत्साहित युवकों द्वारा जय जयकार करते हुए अपने हाथों से खींचा गया। रथयात्रा में बड़ी संख्या में समाजजन शामिल रहे।

रचाया आदिनाथ महामंडल विधान: दोपहर में विधानाचार्य पंडित विवेक जैन शास्त्री के निर्देशन में आदिनाथ भगवान के गुणों की विशेष पूजा अर्चना आदिनाथ महामंडल विधान पूजन के माध्यम से की गई।श्रावक- श्राविकाओं ने भक्तिभाव के साथ जल चंदन अक्षत पुष्प नैवेद्य दीप धूप फल अष्ट द्रव्यों से पूजन की। आदिनाथ भगवान के गुणों की अर्चना करते हुए एक सौ चौबीस श्रीफल अर्ध्य मंडल विधान पर समर्पित कर पुण्य का संचय किया।

भजनों की मनभावन प्रस्तुतिया: विधान के दौरान की गई भजनों की मनभावन प्रस्तुतियों पर श्रावक- श्राविकाओं ने अति आनंदित नाचते गाते हुए प्रभु भक्ति की। प्रस्तुत भजनों व संगीतमय विधान से समूचा मंदिर परिसर धर्ममय हो गया। विधान पूजन पश्चात् 108 मंत्रों के माध्यम से माला जाप की।महाअर्ध्य समर्पण, शांतिपाठ,विसर्जन विधि पश्चात् मंडल विधान की मंगल आरती उतारी।

चैत्र कृष्णा नवमी ही वह पावन तिथि है जब इस विशाल भारत वर्ष की अयोध्या की पावन धरा पर भगवान ऋषभदेव ने जन्म लेकर इस युग के प्रथम तीर्थंकर के रूप में जैन धर्म की नींव रखी।सभी तरह की जीवनोपयोगी असि,मसि,कृषि,शिल्प,उधोग,लिपि,अंक विघा आदि सिखाये।

सायंकाल आरती,णमोकार महामंत्र जाप, संगीतमय भक्तामर स्तोत्र पाठ रिद्धि- सिद्धि मंत्रों के माध्यम से 48 रजतमयी दीपकों को क्रमशः प्रज्जवलित करते हुए प्रभु भक्ति की। शहर के अन्य सभी जिनालयों में भगवान ऋषभदेव की श्रद्धालुओं द्वारा अभिषेक शांतिधारा सहित विशेष पूजा अर्चना की गई। सायंकाल समाज का सामूहिक वात्सल्य भोजन रखा गया।

इस परिवार को सौभाग्य शाली अवसर

मूलनायक ऋषभदेव भगवान का प्रथम अभिषेक व शांतिधारा करने का सौभाग्य प्रमोद कुमार प्रेमचंद बाकलीवाल परिवार,दूसरी ओर से शांतिधारा करने का‌ सौभाग्य महावीर प्रसाद पदम कुमार कासलीवाल परिवार, पांडुकशिला पर शांतिधारा करने का सौभाग्य पदम कुमार अरिन्जय सेठी परिवार, ओमप्रकाश ताराचंद जैन बड़ला वाले परिवार,प्रतीक कुमार छाबड़ा परिवार, महेन्द्र कुमार संदीप कुमार जैन बिजली वाले परिवारों को मिला।
जिनेन्द्र प्रभु के रथ को चलाने के लिए सारथी बनने का सौभाग्य प्रभातचंद,सुबोध कुमार,अशोक कुमार,राकेश कुमार कासलीवाल परिवार जूनिया वाले व ताराचंद टीकमचंद मोनू कुमार जैन रामथला वाले परिवार को मिला।
मंडल विधान की धार्मिक क्रियाओं को करने के लिए सौधर्म इंद्र एवं मंडल पर मुख्य मंगल कलश स्थापना करने का लाभ पदमचंद निर्मला देवी सेठी परिवार को मिला। अन्य चारों कोनों में मंगल कलश स्थापित करने का लाभ क्रमशः मुन्ना देवी पाटनी,मैना देवी चौधरी, राजकुमारी टोंग्या,इन्द्रा कासलीवाल,विनोदिनी ठोलिया,मीना छाबड़ा को मिला।दीप प्रज्ज्वलन व स्थापना का सौभाग्य सुनिता देवी इन्दु देवी बाकलीवाल परिवार को मिला।मंगल आरती का सौभाग्य सुशीला देवी आशा देवी कासलीवाल परिवार को मिला।

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