8 June 2025

गजल: प्यार की मोहर/ “सिर्फ उसने यह भेजा है”

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दिल पर प्यार की मोहर लगाकर भेजा हैं,

पहली दफा उसे कलेजे से लगाकर भेजा हैं !

हम गांव में देर तक दोस्तो में बैठा करते थे ,

हमको भी मजबूर हालातों ने बाहर भेजा हैं!

सारी रात जागकर उस पर नज़्म लिखी है ,

बस उसने सिर्फ अच्छा लिखकर भेजा हैं!

किस तरह होगा फकीरों का गुजारा सोचे,

उसको छोटा सा मशवरा लिखकर भेजा हैं!

मुझे उसकी खूबी बदस्तूर आज भी याद हैं ,

उस फरेबी ने बातों में उलझाकर भेजा हैं ।

रचनाकार : गोविन्द नारायण शर्मा

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