पर पदार्थों को अपना न मानना ओर उनसे विमुख होकर परिग्रह का त्याग करके निज में स्थित होना ही “उत्तम आंकिचन धर्म” है -बाल ब्रह्मचारी पंडित नीरज भैया

केकड़ी 16 सितंबर (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल) पर पदार्थों को अपना न मानना ओर उनसे विमुख होकर परिग्रह का त्याग करके निज में स्थित होना ही “उत्तम आंकिचन धर्म” है ।बाल ब्रह्मचारी पंडित नीरज भैया ने पर्युषण पर्व के नवें दिन “उत्तम आंकिचन धर्म” दिवस पर नेमिनाथ मंदिर बोहरा कॉलोनी में विधान के दौरान अपने प्रवचन मे कहे ।
उन्होंने कहा कि घर-द्वार,धन-दौलत,बंधु-बांधव आदि यहाँ तक कि शरीर भी मेरा नहीं है,इस प्रकार की अनाशक्ति भाव उत्पन्न होना चाहिए ।सबका त्याग करने के बाद भी उस त्याग के प्रति ममत्व रह सकता है,आंकिचन धर्म मे उस त्याग के प्रति होने वाले ममत्व का त्याग करना ही उत्तम है।
श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बोहरा कॉलोनी में पर्वराज पर्युषण में दश लक्षण धर्म महापर्व के अंतर्गत ” तत्वार्थ सूत्र महामंडल विधान”के नवें दिन का आयोजन धूमधाम से किया गया ।

समाज के अध्यक्ष शांति लाल चोरुका ने बताया कि आगरा से बाल ब्रह्मचारी विधानाचार्य पंडित नीरज भैया,ब्रह्मचारी पंडित प्रेमपाल व पंडित विनोद जैन के निर्देशन में व संगीतकार कमलेश देवी एंड पार्टी के सानिध्य में तत्वार्थ सूत्र महामंडल विधान” के आज 47 अर्घ्य समर्पित किये गए।
विधान के सोधर्म इन्द्र शांतिलाल पारस कुमार चोरुका,कुबेर इन्द्र भाग चंद विजय कुमार ,इशान इन्द्र सुरेंद्र कुमार विनय कुमार रांटा,सनत इन्द्र पारस मल महावीरप्रसाद ,यज्ञनायक इन्द्र राजेन्द्र कुमार नितिन कुमार व महेंद्र इन्द्र अशोक कुमार ज्ञान चंद ने महामंडल विधान में भाग लिया ।

प्रातः कालीन जिनाभिषेक व शांतिधारा के पश्चात समाज के धर्मावलंबियों ने दसलक्षण पर्व के नवें दिन “उत्तम आंकिचन धर्म ” पर सामूहिक पूजा की गई ।शांतिधारा का पुण्यार्जन ज्ञान चंद सुनील कुमार जैन ज्वेलर्स,शांति लाल पारस मल चोरुका,विमल कुमार चेतन कुमार बंसल,अशोक कुमार ज्ञान चंद सिंघल,पारस मल महावीर प्रसाद,भाग चंद विजय कुमार,प्रेम चंद घनश्याम,भाग चंद ज्ञान चंद जैन मशीनरी,प्रवीण चंद निर्मल कुमार प्रमोद कुमार व देवा लाल हिमांशु जैन ने प्राप्त किया ।