माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने की अरावली रिसोर्सेज और इकोसेफ इंफ्राप्रोजेक्ट की याचिकाएं खारिज, बजरी प्लॉटों की नीलामी की राह प्रशस्त

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  • अरावली रिसोर्सेज की तीनों याचिकाएं खारिज
  • इकोसेफ इंफ्राप्रोजेक्ट की याचिका पर स्टे आदेश निरस्त

जयपुर, 7 मई(केकड़ी पत्रिका न्यूज़ पोर्टल) माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर के निर्णय के साथ ही राज्य में बजरी खदानों की नीलामी की राह प्रशस्त हो गई है। माननीय उच्च न्यायालय ने बजरी नीलामी से संबंधित पांच याचिकाओं पर राज्य सरकार के पक्ष में निर्णय करते हुए चार याचिकाएं खारिज कर दी हैं वहीं एक याचिका पर दिए गए स्टे आदेश को भी निरस्त कर दिया है।

       गौरतलब है कि विभाग द्वारा भीलवाड़ा क्षेत्र के प्लॉट नंबर 2, 5 और 6 में करीब 100 हैक्टेयर की बजरी खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की गई थी जिसमें अरावली रिसोर्सेज द्वारा अधिकतम बोली लगाई गई । सफल नीलामी के बाद संबंधित बोलीदाता द्वारा 15 दिन के भीतर 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार को जमा करानी थी पर अरावली रिसोर्सेज ने  40 प्रतिशत राशि राजकोष में जमा कराने के स्थान पर राज्य सरकार द्वारा नियमानुसार फोरफिट की गई राशि के निर्णय के खिलाफ माननीय न्यायालय में वाद जारी कर बजरी नीलामी प्रक्रिया को बाधित कर दिया। राज्य सरकार ने अरावली रिसोर्सेज फर्म के तीनों प्लाटों की नीलामी में हिस्सा लेते समय नियमानुसार जमा कराई गई बीड सिक्योरिटी की राशि 40-40 लाख रु. प्रति प्लॉट नियमानुसार राजकोष में जमा कर लिए । इसी तरह से इकोसेफ इंफ्राप्रोजेक्ट द्वारा बजरी के दो प्लाटों की नीलामी प्रक्रिया को रुकवाने के लिए वाद किया गया था जिसमें से एक में स्टे हो गया था।

       माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर ने राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई को सही ठहराते हुए अरावली रिसोर्सेज की तीन याचिकाओं सहित चार याचिकाओं को खारिज करने के साथ ही इको इंफ्राप्रोजेक्ट की एक याचिका पर पूर्व में जारी स्टे आदेश को भी निरस्त कर दिया।

       उल्लेखनीय है कि विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों की राज्य सरकार स्तर पर सचिव माइंस एवं विभाग स्तर पर डीएमजी द्वारा नियमित मॉनिटरिंग के कारण विभागीय पक्ष को समय पर प्रभावी तरीके से रखा जा रहा है जिससे सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं।

       राज्य सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री महावीर विश्नोई ने प्रभावी तरीके से विभाग का पक्ष रखते हुए पैरवी की। दो प्रकरणों में अतिरिक्त निदेशक श्री बीएस सोढ़ा और तीन प्रकरणों में एसएमई भीलवाडा श्री ओपी काबरा प्रभारी अधिकारी थे। जोधपुर उच्च न्यायालयों में खान विभाग के प्रकरणों की मॉनिटरिंग एमई (रिट) श्री दीपक गहलोत द्वारा की जा रही है।

       माननीय उच्च न्यायालय द्वारा याचिकाओं को निस्तारित करने से अब इन प्लॉटों की नीलामी की राह प्रशस्त हो गई है, वहीं नए सिरे से नीलामी होने से इन क्षेत्रों में बजरी का वैध खनन हो सकेगा जिससे आमजन को उचित दर पर बजरी की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। प्रदेश में बजरी के अवैध खनन, परिवहन और भण्डारण पर रोक लगाने के साथ ही वैध बजरी की सहज उपलब्धता के लिए राज्य सरकार द्वारा कारगर प्रयास किये जा रहे हैं। 

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