चौहान की चौखट से होगा चुनावी शंखनाद,राज. भूचाल की दस्तक तो नहीं

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अजमेर /केकड़ी 25 मई (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल/अशोक शर्मा वरिष्ठ पत्रकार) पृथ्वीराज चौहान की नगरी, एक तरफ पीएम मोदी 31 मई को यहां आ रहे हैंं । पांच माह बाद राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा को बाजीगर बनाने, दूसरी तरफ सचिन पायलट का गहलोत सरकार को दिया गया अल्टीमेटम समय 30 मई को पूरा हो रहा है ..तय रूप से पांच दिन बाद राजस्थान मेें राजनीतिक भूचाल आएगा । एक और तरफ वसुंधरा राजे को आगे लाते-लाते प्रदेश भाजपा के कुछ कार्यक्रमों से उन्हे पुनः किनारे कर दिया गया है , जो शुभ संकेत नहीं है । हाल ही सुभाष मेहरिया का घर  वापसी कार्यक्रम जो जयपुर के भाजपा कार्यालय में रखा गया था से वसुंधरा को दूर रखा गया जबकि उसमें बीजेपी के प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह तथा वसु के सभी धुर विरोधी गजेन्द्र सिंह शेखावत, सतीश पूनिया, राजेंद्र राठोड, सीपी जोशी तथा घनश्याम तिवाडी मौजूद थे ।बस नहीं थी तो वसुंधरा राजे । चूंकि उसे न बताया गया और न ही बुलाया गया । इसी तरह लाडनू कार्यक्रम से भी वसुंधरा को दूर रखा गया । मौजूदा समय में वसुंधरा से यह दूरी भाजपा की दूसरी गणित की तरफ इशारा कर रही है जो शुभ संकेत की दस्तक नहीं है । दूसरी तरफ सचिन पायलट को लेकर जद्दोजहद पीक प्वाइंट पर आ गया है ।हाल ही “आज-कल “चैनल से जुडा एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें सचिन का भाजपा का हमसफर बनने की संभावना व्यक्त की गई है ।इससे पहले ए वन टीवी चैनल के पेनल्टी कार्नर में भी अनिल लोढा दस दिन पहले ही इस संभावना के संकेत दे चुके हैं ।ये राजनीति है, यहां नामुमकिन लगने वाला भी पलक झपकते मुमकिन हो जाता है ।जैसा कि पिछले एक साल से यह हवा चल रही है कि सचिन को भाजपा का निमंत्रण मिल रहा है, अब अगर वे चले भी जाएं तो ज्यादा आश्चर्य नहीं होगा, लेकिन हां, यह हुआ तो गुर्जर समाज का बहुत बड़ा वोट बैंक भाजपा की झोली में चला जाएगा ।अगर सचिन चले गए तो राजस्थान भाजपा में वसुंधरा का शीर्ष (सीएम पद )पर आने का ख्वाब चकनाचूर हो जाएगा ,

क्योंकि तब सचिन की मुंह मांगी मुराद पूरी हो जाएगी और वसुंधरा चारों खाने चित्त! अगर भाजपा जीत जाती है तो! कोई आश्चर्य नही कि अब कब क्या घट जाए क्योंकि गहलोत और सचिन विवाद को लेकर कांग्रेस हाईकमान भी ज्यादा रूचि नहीं ले रहा है ।जैसा कि रंधावा ने अभी-अभी साफ कह दिया कि यह लडाई गहलोत और सचिन के बीच है, इसे गहलोत निपटा लेंगे ।तथापि गहलोत और सचिन विवाद को लेकर दिल्ली में 26 मई को पुनः बैठक रखी गई है ।( पता नही ये इस तरह की बैठकें कब तक करते रहेंगे ।कोई हल निकाल तो पाते नहीं ।) गहलोत सरकार के खिलाफ सचिन के हर प्रदर्शन को हाईकमान और रंधावा ने यह कह कर अपने कंधे बचा लिये कि यह सचिन का व्यक्तिगत मामला है, इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है । कमाल की दलील देते हैं खडगे और रंधावा । सचिन का प्रदर्शन कांग्रेस पार्टी की ही सरकार के खिलाफ है, सचिन भी कांग्रेस पार्टी का ही सदस्य है फिर उसका यह प्रदर्शन व्यक्तिगत कैसे हो सकता है ।क्या यह अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत नहीं? सचिन सिर्फ और सिर्फ हाईकमान को ब्लेकमेल कर रहे हैंं ।संभवतः आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस के इतिहास की यह पहली घटना है जब पार्टी का ही एक सदस्य अपनी पार्टी की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है और पार्टी हाईकमान चुप है, बेबुनियाद सफाई दे रहा है कि इससे हमारा कोई लेना-देना नहीं ।31 मई को पीएम की अजमेर दस्तक यूं ही नही है । अब तयशुदा उनके निशाने पर गहलोत सरकार है । गहलोत सरकार दो बार गिराने की कोशिश हुई पर दोनों बार गहलोत ने सरकार बचा ली । सचिन को भी तोडने की कोशिशें हुई पर सफलता नहीं मिली । सचिन ने भी गहलोत को हटा कर खुद सीएम बन जाने के प्रयास कई बार कर लिये लेकिन सफल नही हुए । इन सभी प्रकरणों को लेकर सचिन पर भाजपा के साथ होने तथा भाजपा का सचिन को साथ देने के कई आरोप-प्रत्यारोप चलते रहे । अब मोदी राजस्थान मेें चुनावी शंखनाद से पांच दिन दूर खडे हैं । उनके लिए अब राजस्थान प्राइम स्टेट है । गहलोत को पराजित करना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है और इसीलिए उनका पूरा फोकस अब राजस्थान पर है । पांच दिन बाद तीन योद्धा मोदी, गहलोत और वसुंधरा एक ही मंच पर आ सकते हैं । मोदी और गहलोत तो एक मंच पर होंगे, यह तय है । पर वसुंधरा भी होंगी या नहीं इसमें संशय है ।क्योंकि इन्ही दिनों जो जाल बुने गए हैंं तथा बुने जा रहे हैंं वे वसुंधरा के साथ उचित होने के संकेत नहीं दे रहे ।

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अशोक शर्मा।

लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार 7726800355

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