जैन धर्म: उत्तम आर्जव धर्म है, यह मायाचार, छल-कपट से बचाता है
केकड़ी 10 सितम्बर (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल) श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बोहरा कॉलोनी में पर्वराज पर्युषण में दश लक्षण धर्म महापर्व के अंतर्गत ” तत्वार्थ सूत्र महामंडल विधान” का आयोजन धूमधाम से किया जा रहा है ।
समाज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भाग चंद जैन ने बताया कि आगरा से बाल ब्रह्मचारी विधानाचार्य पंडित नीरज जैन व ब्रह्मचारी पंडित प्रेमपाल के निर्देशन में व संगीतकार कमलेश देवी एंड पार्टी के सानिध्य में “तत्वार्थ सूत्र महामंडल विधान” के आज 39 अर्घ्य समर्पित किये गए।
विधान के सोधर्म इन्द्र शांतिलाल पारस कुमार चोरुका,कुबेर इन्द्र भाग चंद विजय कुमार ,इशान इन्द्र सुरेंद्र कुमार विनय कुमार रांटा,सनत इन्द्र पारस मल महावीरप्रसाद ,यज्ञनायक इन्द्र राजेन्द्र कुमार नितिन कुमार व महेंद्र इन्द्र अशोक कुमार ज्ञान चंद द्वारा महामंडल विधान में विभिन्न धार्मिक क्रियाएं की गई ।
प्रातः कालीन जिनाभिषेक व शांतिधारा के पश्चात समाज के धर्मावलंबियों ने दसलक्षण पर्व के तीसरे दिन “उत्तम आर्जव धर्म ” पर सामूहिक पूजा की गई ।
शांतिधारा का पुण्यार्जन विमल कुमार राजेन्द्र कुमार,इंद्रमल संजय कुमार,प्रेमचंद घनश्याम,पारस मल महावीर प्रसाद व भाग चंद विजय कुमार ने प्राप्त किया ।पंडित नीरज जैन ने विधान के अंतर्गत अपने प्रवचन के दौरान उत्तम आर्जव धर्म के बारे में बताया कि मन, वचन काय की सरलता का नाम ही उत्तम आर्जव धर्म है।आर्जवधर्म मायाचार,छल-कपट से बचाता है ।
मनुष्य का आचरण जब तक छल-कपट उक्त होगा,तब तक वह धर्म विहीन माना जाता है ,क्यों कि छल से किया गया धर्म भी विनाश का कारण होता है ।इसलिए प्रत्येक मनुष्य को जीवन मे छल कपट से दूर रहकर सरल जीवन बिताना चाहिए व उत्तम आर्जव धर्म का पालन करना चाहिए ।