समाज को जागरूक करने में वकीलों की होती है महत्त्वपूर्ण भूमिका-रामपाल जाट

0

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव रामपाल जाट को वकीलों ने दी भावभीनी विदाई

अजमेर 02 मई (केकड़ी पत्रिका न्यूज़ पोर्टल/डॉ.मनोज आहूजा) जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव जिला न्यायाधीश रामपाल जाट का कोटा स्थानांतरण होने पर गुरुवार को अखिल भारतीय संयुक्त अधिवक्ता मंच के अजमेर संभागीय अध्यक्ष एडवोकेट डॉ.मनोज आहूजा के नेतृत्व में विदाई समारोह का आयोजन किया गया जिसमें बार एसोसिएशन अजमेर के पूर्व उपाध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट सत्यनारायण हावा मौजूद रहे जिन्होंने जाट की कार्यशैली की तारीफ करते हुए कहा कि जाट ने अपने तीन साल के कार्यकाल में लोक अदालत से सम्बंधित कार्यवाही और विवादों के निस्तारण में लोक अदालत का महत्त्व इतना बढ़ा दिया है कि हर मुवक्कील आते ही कहता है कि मेरा मामला लोक अदालत में लेकर जाओ।

इस मौक़े पर वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष प्रकाश माथुर ने कहा कि जाट ने अपने कार्यकाल में एक ऐतिहासिक काम किया है जिसको अजमेर की जजशिप सहित ये न्यायिक परिवार कभी नहीं भूल सकता।एडवोकेट मनोज आहूजा ने कहा कि जाट ने जिले के हर गांव का दौरा कर लोक अदालत की जो अलख जगाई है वो देश की न्यायपालिका के लिए एक रोल मॉडल के रूप में देखी जा सकती है उन्होंने गाँव के गरीब और किसान की पीड़ा को समझते हुए राजस्व मामलों के निस्तारण के लिए जो काम किया है और हजारों ऐसे लोगों के मामलों को निपटाया है वो अजमेर जजशिप के लिए एक मिसाल है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।वहीं इस मौक़े पर वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष माथुर ने जाट का माला व साफा पहनाकर अभिनन्दन किया तो एडवोकेट संदीप मीणा,एडवोकेट ईमरान खान,एडवोकेट प्रवीण, एडवोकेट नमन जैन,एडवोकेट अरविन्द सिंह,एडवोकेट भानू प्रताप सिंह शेखावत सहित अन्य अधिवक्ताओं ने माला पहनाकर जाट को उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनायें दी।

इस मौक़े पर जाट ने कहा कि अजमेर के कार्यकाल के दौरान उन्हें अधिवक्ता साथियों का भरपूर सहयोग मिला जिसे वो कभी नहीं भूल सकते।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे देश के संविधान के अनुच्छेद 39 ए में यह प्रावधान किया गया है कि राज्य यह सुनिश्चित करे कि न्यायिक व्यवस्था समान अवसरों के आधार पर न्याय को बढ़ावा दे और कोई भी व्यक्ति आर्थिक या अन्य किसी अक्षमता के कारणवश न्याय प्राप्त करने से वंचित ना हो।इसी प्रावधान का लाभ भारत के प्रत्येक नागरिक को देने के लिए देश के ताल्लुका स्तर के न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने के लिए कार्यालय खोल रखे हैं।जिला स्तर पर विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन किया गया है।

उन्होंने बताया कि इस कार्यालय के माध्यम से निःशुल्क विधिक सेवा उन लोगों को दी जाती है जो धन व अन्य अक्षमता की वजह से अपने प्रकरण की पैरवी करने में सक्षम नहीं है।साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को कानून की जानकारी भी हो सके इसके लिए शिविरों का आयोजन किया जाता है ताकि आमजन कानून का पालन कर सकें जिससे कि समाज में शांति व्यवस्था बनी रह सके।उन्होंने बताया कि इस सेवा के लिए अनुसूचित जाति जनजाति के व्यक्ति तथा किसी भी श्रेणी की महिला व बच्चे वरिष्ठ नागरिक,कैंसर एवं एचआईवी पीड़ित व्यक्ति,ऐसे व्यक्ति जो अभिरक्षा में निरुद्ध हैं,ऐसे व्यक्ति जो मानव उद्योग व्यापार या समाज के सताए हुए हैं,मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति भी निशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने के अधिकारी है।

उन्होंने बताया कि यह व्यवस्था देश के सभी न्यायालयों में उपलब्ध है।इस श्रेणी का पात्र व्यक्ति निर्धारित आवेदन फार्म पेश करके उच्चतम न्यायालय,उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय,ताल्लुका न्यायालय, राजस्व न्यायालय तथा फोरम सहित सभी अदालतों में निशुल्क सहायता प्राप्त कर सकता है,सचिव जाट ने बताया कि इसके अतिरिक्त इस कार्यालय के माध्यम से विधिक साक्षरता अभियान भी चलाया जाता है साथ ही स्थाई लोक अदालत का भी संचालन इस कार्यालय के माध्यम से संचालित होता है।

उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष चार राष्ट्रीय लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है जिसकी तारीख राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निश्चित की जाती है और हर तीन महीने में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाता है जिसको सफल बनाने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रत्येक न्यायालय में जाकर वहां के न्यायिक अधिकारियों तथा अधिवक्ताओं से मीटिंग करते हुए लोक अदालत को सफल बनाने के लिए रूपरेखा व योजना बनाई जाती है।उन्होंने कहा कि प्राधिकरण का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा मुकदमों का निस्तारण करना है तथा लोगों को न्याय दिलवाना है।उन्होंने बताया कि लोक अदालत में राजीनामे योग्य फौजदारी मामलों,मोटर दुर्घटना से संबंधित मामले,पारिवारिक न्यायालय से संबंधित मामलों सहित जिन दिवानी मामलों में राजीनामा हो सकता है तथा चैक अनादरण के मामलों को भी निपटाया जाता है।

उन्होंने कहा कि लोक अदालत के माध्यम से काफी लोगों को राहत मिलती है इसलिए उन्होंने अधिवक्ता साथियों से कहा कि वो आमजन को ये महत्त्वपूर्ण जानकारी दें तथा अपने विवादित मामलों को लोक अदालत में लेकर जाने की सलाह भी दें क्योंकि लोक अदालत की भावना से निस्तारण मामलों की कोई अपील नहीं होती बल्कि विवाद का अंतिम निस्तारण होता है।उन्होंने कहा कि वकील का काम सिर्फ व्यवसाय करना नहीं होता बल्कि वकील सबसे बड़ा समाज सुधारक होता है वकीलों के बिना समाज में जागृति की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

You cannot copy content of this page