दिगम्बर जैन समाज, केकड़ी हर्ष और उल्लास से मनाया चंद्रप्रभु भगवान का मोक्ष कल्याणक महा महोत्सव

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केकड़ी17 मार्च (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल)जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर 1008 श्री चंद्रप्रभु भगवान का मोक्ष कल्याणक महामहोत्सव शनिवार को दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में विघासागर मार्ग पर स्थित चंद्रप्रभु जैन चैत्यालय में श्रद्धा भक्तिभाव व हर्षोल्लास पूर्वक धूमधाम से मनाया गया।

समाज के प्रवक्ता नरेश जैन ने बताया कि फाल्गुन सुदी सप्तमी को जैन तीर्थ सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र के ललित कूट पर्वत से भगवान चंद्रप्रभु ने निर्वाण प्राप्त किया था इसी से इस दिन जैन धर्मावलंबियों द्वारा तीर्थंकर चंद्रप्रभु का मोक्ष कल्याणक दिवस उत्साह से मनाया जाता है।

प्रात: बोली द्वारा चयनित मुख्य पात्रों सहित अन्य श्रद्धालुओं द्वारा अभिषेक व शांतिधारा पाठ के उच्चारित मंत्रो के साथ विधिवत जल से भरे रजत कलशों से जिनेन्द्र प्रभु का अभिषेक और विश्व में सुख,समृद्धि और शांति की मंगल भावना लिए शांतिधारा की। इसी दौरान श्रावक- श्राविकाओं ने निर्वाणकांड पाठ का सामूहिक सस्वर पाठ करने के बाद भगवान चंद्रप्रभु के जयकारे लगाते हुए मोक्ष के प्रतीक स्वरूप निर्वाण मोदक जिनेन्द्र प्रभु को समर्पित किये।

बोली द्वारा मुख्य पात्रों का चयन :कार्यक्रम में बोली द्वारा मुख्य पात्रों का चयन हुआ जिनमें भगवान के प्रथम अभिषेक, शांतिधारा व निर्वाण लाडू चढ़ाने का सौभाग्य ओमप्रकाश ताराचंद प्रेमचंद जैन बड़ला वाले परिवार को मिला। अन्य शांतिधारा में महावीर प्रसाद विपिन कुमार सचिन कुमार गदिया,भंवर लाल अमित कुमार तनिष कुमार टोंग्या,कमल कुमार विमल कुमार भाल परिवार एवं लाडू चढ़ाने का सौभाग्य भंवरलाल अरिहंत कुमार बज परिवार को मिला।

चंद्रप्रभु महामंडल विधान

दोपहर में विधानाचार्य पंडित अंकित जैन व पंडित विवेक जैन के निर्देशन में संगीत की स्वर लहरियों के साथ चंद्रप्रभु महामंडल विधान किया गया। विधान के दौरान शांतिधारा करने व सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य मनीष कुमार आशीष कुमार टोंग्या परिवार को मिला। श्रद्धालुओं ने जल,चंदन,अक्षत,पुष्प,नैवेद्य,द्वीप,धूप,फल व अर्ध्य द्रव्यों से नित्यमह पूजन करते हुए भगवान चंद्रप्रभु के गुणों का स्तवन चंद्रप्रभु महामंडल विधान की विशेष पूजा अर्चना कर मंडल पर 124 श्रीफल अर्घ्य समर्पित कर पुण्य संचय किया।

मंडल विधान पर मंगल कलशों की स्थापना :

मंगल विधानों की स्थापना राजकुमारी अजमेरा,आभा सोनी,रूपा देवी डेवडिया,विनोदिनी ठोलिया,आशा सोनी द्वारा की गई। मंगल दीपक स्थापना मैना देवी पाटनी ने किया। चंद्रप्रभु भगवान के तैलीय चित्र का अनावरण व दीप प्रज्ज्वलन का सौभाग्य अनोप देवी मधुलिता देवी नीता गदिया परिवार को मिला। संगीतमय विधान से परिसर धर्ममय हो गया। मौजूद भक्तों ने विधान के दौरान विधानाचार्यो द्वारा सिलसिलेवार दी गई भजनों की मनभावन प्रस्तुतियों पर भक्ति नृत्य करते हुए प्रभु भक्ति की।

विधान समाप्ति पर 108 मंत्रो के माध्यम से विश्व में सर्व शांति के लिए जाप्य माला की। शांतिपाठ, विसर्जन विधि के बाद श्रद्धालुओं ने मंगलमय आरती की। शाम को भगवान चंद्रप्रभु व पंचपरमेष्ठी की आरती,प्रभु भक्ति भजन का आयोजन किया गया। नगर के अन्य सभी दिगम्बर जैन जिनालयों में भी विशेष पूजनादि‌‌ अनुष्ठान किए गए।

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