श्रीमती लाली देवी लोढ़ा ने श्री प्राज्ञ पब्लिक स्कूल (CBSE विद्यालय) स्थापना हेतु दिया एक करोड़ का महादान
बांदनवाड़ा 01 दिसम्बर (केकड़ी पत्रिका/चंद्र प्रकाश टेलर ) अजमेर बांदनवाड़ा–भिनाय क्षेत्र में शिक्षा के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है, जब स्वर्गीय श्री रिखबचन्द सा लोढ़ा की पुण्य-स्मृति में श्रीमती लाली देवी जी लोढ़ा, न्यारा वाले, हाल मुकाम बांदनवाड़ा चौराहा, ने श्री प्राज्ञ पब्लिक स्कूल, बांदनवाड़ा भिनाय के लिए एक करोड़ रुपये की अद्वितीय दानराशि प्रदान की।
यह राशि क्षेत्र में CBSE विद्यालय की स्थापना तथा शैक्षणिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। उल्लेखनीय है कि घोषणा करते ही तत्काल दान राशि प्रदान कर देना न केवल प्राज्ञ संघ बल्कि सम्पूर्ण जैन समाज में पहला अभूतपूर्व उदाहरण है, जिसने सभी को प्रभावित किया।श्रीमती लाली देवी जी का जीवन संघर्ष, साहस और शिक्षा-समर्पण की प्रेरक मिसाल है। बहुत कम उम्र में पति के देहावसान के बाद उन्होंने हिम्मत जुटाई और विद्यावाड़ी, सादड़ी में होस्टल वॉर्डन के रूप में कार्य करते हुए एम.ए. (इतिहास) और बी.एड. की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद वे राजस्थान शिक्षा विभाग में इतिहास की व्याख्याता के रूप में नियुक्त हुईं और 32 वर्षों की प्रतिष्ठित राजकीय सेवा के बाद इसी वर्ष राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से सेवानिवृत्त हुईं।

सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद उन्होंने शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को जीवन के सर्वोच्च आदर्श के रूप में प्रस्तुत करते हुए एक करोड़ रुपये का दान देकर समाज में असाधारण उदाहरण स्थापित किया।दान राशि क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण CBSE शिक्षा के सशक्त विकल्प खोलने जा रही है और इसे प्राज्ञ संघ के इतिहास में अब तक का सर्वाधिक (Highest) दान माना गया है।
इस अवसर पर भिनाय प्रधान श्री सम्पत राज लोढ़ा, श्री संजय लोढ़ा, श्री प्रेमराज बोहरा, श्री सुरेन्द्र पिपाड़ा, श्री महावीर कचारा, श्री अजीत लोढ़ा एवं डॉ. नवालसिंह जैन उपस्थित रहे। सभी गणमान्य व्यक्तियों ने श्रीमती लाली देवी जी लोढ़ा की निःस्वार्थ भावना और समाज-सेवा की अनूठी परंपरा की सराहना करते हुए इसे क्षेत्र के बच्चों के भविष्य के लिए ऐतिहासिक योगदान बताया।श्री प्राज्ञ जैन स्मारक समिति, बिजयनगर ने लोढ़ा परिवार के इस अद्वितीय योगदान पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए समस्त पुण्य-फल स्वर्गीय श्री रिखब चन्द सा लोढ़ा की आत्मा को समर्पित किए।