ग्राम पंचायत गोरधा मुख्यालय के क्षेत्र के गाँव लोधा झोपड़ा में फल फूल रहा है ‘अवैध बजरी साम्राज्य’
सरकारी जमीन पर खड़ा किया गया हजारों टन का पहाड़, पुलिया तोड़ी—सड़कें उखाड़ी—प्रशासन मौन, ग्रामीणों में उबाल।
सावर 01 दिसम्बर (केकड़ी पत्रिका/हंसराज खारोल) ग्राम पंचायत गोरधा मुख्यालय क्षेत्र के लोधा झोपड़ा गांव में सावर–कादेडा रोड पर बाबा रामदेव भंडारे के तिबारे के पास सरकारी भूमि पर अवैध बजरी का विशाल जखीरा मिलने से इलाके में हड़कंप मच गया है। ग्रामीणों के अनुसार बजरी माफियाओं ने बीते एक माह में यहां दिन–रात अवैध स्टॉकिंग कर ‘बजरी का पहाड़’ खड़ा कर दिया है। आमलीखेड़ा के पास खारी नदी से ट्रैक्टरों में बजरी ढोकर दिन के उजाले में जमा की जाती है और रात में ट्रकों में भरकर जयपुर, कोटा सहित बड़े शहरों को सप्लाई की जा रही है। ग्रामीणों का दावा है कि रोजाना हजारों टन बजरी का अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है, लेकिन जिम्मेदार विभाग आंखें मूंदे बैठे हैं।
सरकारी संपत्ति पर बड़ा हमला 15 साल पुरानी पुलिया तोड़ी
ग्रामीणों ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि बजरी ढोने वालों ने ग्राम पंचायत गोरधा द्वारा करीब 15 वर्ष पूर्व बनाई गई मजबूत पुलिया (कलवट) की दीवारें तोड़ डाली हैं ताकि भारी भरकम वाहनों की आवाजाही में बाधा न हो। सिर्फ इतना ही नहीं, तेज रफ्तार ट्रैक्टरों और भारी वाहनों के कारण डामरीकृत सड़क के किनारे उखड़ गए हैं और मार्ग पूरी तरह जर्जर हालत में पहुंच गया है। इससे ग्रामीणों में भारी रोष है क्योंकि पंचायत की लाखों की संपत्ति को बेरहमी से नष्ट किया गया है।
धूल, प्रदूषण और हादसों का अड्डा बन गया क्षेत्र
बजरी के पहाड़ों से उड़ती धूल ने आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों का जीवन दूभर कर दिया है। बच्चों और बुजुर्गों में श्वास संबंधी समस्याएं बढ़ने लगी हैं। वहीं रात–दिन दौड़ते भारी वाहनों ने सावर–कादेडा रोड को हादसों का हॉटस्पॉट बना दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार मामूली दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन डर के माहौल में कोई शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा।
सरकार को लाखों का नुकसान, बरसात में खतरा और बढ़ेगा
अवैध स्टॉकिंग के कारण सरकार को रॉयल्टी और खनन शुल्क में भारी नुकसान पहुंच रहा है। बरसात के दौरान यह बजरी नालों, खेतों और रास्तों में बहकर पहुंचती है, जिससे भू–क्षरण, अवरोध और सड़कों के टूटने की समस्या कई गुना बढ़ जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो यह समस्या बड़े पर्यावरणीय खतरे में बदल सकती है।
अवैध खनन का काला खेल, दबंगों का कब्जा,प्रशासन चुप क्यों?
ग्रामीणों के अनुसार इस खेल में कुछ दबंग तत्व शामिल हैं जो स्थानीय लोगों को धमकाते हैं और किसी भी विरोध को दबा देते हैं। सवाल यह भी उठता है कि इतने बड़े स्तर पर हजारों टन बजरी का पहाड़ खड़ा हो जाने के बाद भी प्रशासन मौन क्यों है? क्या विभागों को इस अवैध गतिविधि की भनक नहीं है या फिर जानबूझकर अनदेखी की जा रही है?
ग्रामीणों की कड़ी चेतावनी—कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन
ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि अवैध स्टॉक हटाकर सरकारी भूमि को मुक्त नहीं करवाया गया और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे सामूहिक रूप से आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
स्थानीय जनता का कहना है कि यह मामला सिर्फ अवैध बजरी का नहीं, बल्कि सरकारी संसाधनों की लूट, पर्यावरण विनाश और प्रशासनिक लापरवाही का जीवंत उदाहरण है। अब देखने वाली बात यह है कि प्रशासन जागता है या फिर ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे जाएगा।
