राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजयादशमी उत्सव: पंच परिवर्तन पर हुआ मंथन

बांदनवाड़ा 02 अक्टूबर (केकड़ी पत्रिका/चंद्र प्रकाश टेलर)“भारत भूमि में जन्म लेने के लिए देवता भी तरसते हैं।” यह उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अजयमेरु विभाग प्रचारक शिवराज ने गुरुवार को कस्बे के महात्मा गांधी विद्यालय में व्यक्त किए। वे संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित विजयादशमी पर्व को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने कहा कि भारत की भूमि योग परंपरा की जननी है, जबकि अन्य देशों में उपभोक्तावादी संस्कृति हावी है। भारत की योग संस्कृति सबको जोड़ने वाली है।

शिवराज ने बताया कि प्राचीन समय में कर्म आधारित जातियां थीं और संयुक्त परिवार प्रणाली समाज की शक्ति थी, परंतु अंग्रेजों की शिक्षा नीति ने इस व्यवस्था को क्षति पहुंचाई। आज पुनः संयुक्त परिवार और सांस्कृतिक मूल्यों की ओर लौटना समय की आवश्यकता है।🔶 संघ के पंच परिवर्तन के सूत्रउन्होंने बताया कि समाज को सशक्त और समरस बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने “पंच परिवर्तन” के पांच सूत्र निर्धारित किए हैं—1 स्व बोध 2पर्यावरण,3सामाजिक समरसता4 नागरिक शिष्टाचार,5 कुटुम्ब प्रबोधनशिवराज ने विशेष रूप से “स्व बोध” पर जोर देते हुए कहा कि जब संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है और राष्ट्र “अमृत काल” में प्रवेश कर चुका है, तब 2047 तक वैश्विक योगदान देने के लिए स्वामी विवेकानंद और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को अपनाना आवश्यक है। संघ स्वामी विवेकानंद के सिद्धांतों पर चलते हुए युवाओं में आत्मनिर्भरता, सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय चेतना का संचार कर रहा है।
यह सरकारों, युवाओं और व्यवसायों के साथ मिलकर ज़मीनी स्तर पर कार्य करता है।अपने एक घंटे के उद्बोधन में उन्होंने डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार के जीवन और संघ की स्थापना यात्रा पर भी प्रकाश डाला।

शस्त्र पूजन और दीप प्रज्वलन से हुआ शुभारंभकार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि कर्नल गोविंद सिंह चुण्डावत, खंड संघचालक सूर्यदेव कुमावत द्वारा शस्त्र पूजन और मां भारती के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
कार्यक्रम में रही व्यापक सहभागिताइस अवसर पर बांदनवाड़ा मंडल के स्वयंसेवक, दुर्गा वाहिनी कार्यकर्ता, प्रबुद्धजन एवं मातृशक्ति बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।