अतिक्रमी को नहीं मिली न्यायालय से राहत,ग्राम पंचायत बड़गांव के खिलाफ दावा ख़ारिज
केकड़ी 22 जून (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल, डॉ. मनोज आहूजा ) सिविल न्यायाधीश केकड़ी ने ग्राम पंचायत बड़गांव के रघुनाथपुरा निवासी किशनलाल पुत्र रामसुख जाट द्वारा ग्राम पंचायत बड़गांव के खिलाफ प्रस्तुत स्थाई निषेधाज्ञा का दावा ख़ारिज करने के आदेश पारित किये हैं।ग्राम पंचायत बड़गांव के सरपंच व ग्राम विकास अधिकारी के अधिवक्ता डॉ. मनोज आहूजा ने बताया कि वादी किशनलाल ने ग्राम रघुनाथ पुरा की आबादी भूमि में स्थित रिहायशी मकान व बाड़े पर 30 साल पुराना कब्जा बताते हुए ग्राम पंचायत बड़गांव के सरपंच व सचिव के खिलाफ स्थाई निषेधाज्ञा इस आधार पर प्रस्तुत किया कि वे लोग राजनैतिक द्वेषता के चलते उसे नुकसान पहुँचाने के आशय से बेघर करने पर आमादा हैं जबकि उक्त मकान का वह अपने परिवार के साथ निर्वाध रूप से पिछले 30 साल से उपयोग व उपभोग करता चला आ रहा है।प्रतिवादी ग्राम पंचायत ने जब अपने राजनैतिक स्वार्थो की पूर्ति के चलते उसे बेदखल करने का नोटिस दिया तो उसने अपने अधिवक्ता के माध्यम से पंचायती राज अधिनियम की धारा 109 का लीगल नोटिस भी दे दिया लेकिन पंचायत ने उसे लेने से इंकार कर दिया। वादी किशनलाल ने ग्राम पंचायत द्वारा राजनैतिक द्वेषता के आधार पर की गई कार्यवाही को अवैध मानते हुए स्थाई निषेधाज्ञा की घोषणा का दावा प्रस्तुत करते हुए उसके समर्थन में पांच गवाहों के बयान दर्ज करवाए।इसके विपरीत ग्राम पंचायत के अधिवक्ता डॉ.मनोज आहूजा ने जवाब दावा प्रस्तुत कर निवेदन किया कि वादी का रहवासी मकान वार्ड नंबर सात में स्थित है मौजूदा सम्पति ग्राम पंचायत की भूमि है जिस पर वादी ने कब्जा करने कि नियत से बाड़ा बना लिया है जिसे नियमानुसार बेदखली की कार्यवाही की जा रही थी जिससे बचने के लिए वादी ने झूठे कथनों के आधार पर दावा प्रस्तुत किया है।प्रतिवादी के अधिवक्ता डॉ. मनोज आहूजा ने यह तर्क भी दिया कि वादी स्वंय 36 साल का है और वादग्रस्त भूमि पर अपना मकान व बाड़ा बताते हुए 30 साल का कब्ज़ा बता रहा है इसके अतिरिक्त यदि उक्त स्थान पर रिहायशी मकान होता तो विद्युत कनेक्शन भी अवश्य होता जो कि वादी द्वारा ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है। प्रतिवादी ग्राम पंचायत व ग्राम विकास अधिकारी के तर्को से सहमत होते हुए न्यायाधीश ने वादी का दावा ख़ारिज करने के आदेश पारित किये हैं।