पिता नीम के पेड़ के जैसा होता है, जिसके पत्ते भले ही कड़वे हों पर वह छाया हमेशा ठंडी देता है-डॉ.मनोज आहूजा

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बान्दनवाड़ा,18 जून (केकड़ी पत्रिका न्यूज़ पोर्टल) आज भले ही समाज और सामाजिक मायने, तौर तरीके बदल चुके हो लेकिन भारतीय संस्कृति हमारे संस्कारों में झलकता है आज भी कई परिवार ऐसे हैं जो सामाजिक सरोकार की प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हैं और समाज को एक सकारात्मक संदेश देते हैं।अंतराष्ट्रीय पितृत्व दिवस के अवसर पर आज कस्बे सहित आसपास के क्षेत्रों में सोशल मीडिया पर पिता के प्रति प्यार व सम्मान झलकने वाली पोस्टें देखने को मिली। पितृ दिवस यानी फादर्स डे पर बांदनवाड़ा गांव के एक ऐसे ही आहूजा परिवार के बारे में जाना और समाज को सकारात्मक संदेश देने वाली एक हकीकत से रूबरू करवाने का मोका मिला आहूजा परिवार की कहानी खुद उनकी जुबानी…स्थानीय समाजसेवी एडवोकेट डॉ.मनोज आहूजा ने अपने परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में हमेशा की तरह अपने दिन की शुरुआत पिताजी का आशीर्वाद लेकर की। इसके साथ ही आहूजा परिवार के सदस्यों ने आज के स्पेशल दिन के अवसर पर अपने परिवार के मुखिया ओमप्रकाश आहूजा का दुपट्टा ओढ़ाकर व राजस्थानी पगड़ी पहनाकर अभिनन्दन किया। इसके साथ ही सभी सदस्यों ने परम् पिता परमेश्वर के समक्ष सामूहिक पूजा आराधना कर पिता की दीर्घायु व स्वस्थ रहने की मंगल कामना की। 

इस मौक़े पर आहूजा ने अपने बेटे जतिन, बिटिया वृंदा, भतीजे तन्मय व कृष्णा को बताया कि पिता नीम के पेड़ के जैसा होता है,जिसके पत्ते भले ही कड़वे हों पर वह छाया हमेशा ठंडी देता है।अर्थात वो पिता होता है जिसकी डांट में असीम प्यार छुपा होता है।जिसकी डांट जीवन कि दशा व दिशा दोनों बदल देती है।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वैसे तो हर दिन ही पिता के लिए होता है और मेरे दिन की शुरुआत तो माँ और पिता के आशीर्वाद से ही होती है,लेकिन पाश्चात्य संस्कृति के हिसाब से आज का दिन पिता के लिए आरक्षित रखा गया है।मेरी राय में तो ये बहुत अच्छी पहल है,जब पोलियो की दवाई पिलाने के लिए दिन निर्धारित है।जब मजदूरों के लिए मजदूर दिवस निर्धारित है तो फिर पिता के लिए क्यों दिन निर्धारित नहीं हो। डॉ मनोज आहूजा ने बताया कि आज का दिन मेरे लिए बहुत मायने रखता है क्योंकि आज मेरा जो वजूद है वो पापा की ही देन है।मेरे पापा ने विपरीत परिस्थितियों में भी ब्याज पर पैसा लेकर, होटल पर नौकरी करके मुझे पढ़ाया, मुझे एक काबिल इंसान बनाया। मुझे सच्चाई के रास्ते पर चलना सिखाया,स्वाभिमान से जीना सिखाया। उनका कहना  हैं कि आजका दिन मेरे लिए ही नहीं इस दुनिया के हर व्यक्ति के लिए खुशी का दिन है जिनके घर में पापा है या पापा की यादें है।उस परम पिता परमेश्वर से ये भी प्रार्थना करता हूँ कि पिता रूपी वटवृक्ष  को स्वस्थ रखे,दीर्घायु  हों। इसके साथ ही समस्त देशवासियों को भी इस महत्वपूर्ण दिन की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें…..

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