सब्ज़ी मंडी की दुर्दशा: आज़ाद चौक के गर्व को बना दिया गया शर्म का विषय
बघेरा 02 जुलाई (केकड़ी पत्रिका,/आज़ाद चौक से रिपोर्ट) —बघेरा कस्बे का हृदयस्थल माने जाने वाला आज़ाद चौक, जो कभी आज़ादी के प्रतीकों और जनचेतना की गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था,और वर्तमान में लोगों की रोजी रोटी का जरिया आज अव्यवस्थाओं और प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक बन चुका है। इस ऐतिहासिक स्थल के समीप स्थित जलदाय विभाग की नवीन टंकी के पास की व्यवस्थाएं क्षेत्रवासियों की परेशानी का कारण बन गई है।
कभी इसी टंकी के पास सब्ज़ी मंडी लगा करती थी, जहां ग्रामीण महिलाएं हर शाम ताज़ी सब्ज़ियाँ खरीदने आया करती थीं। लेकिन टंकी निर्माण के बाद चारों ओर फैला निर्माण सामग्री का कचरा — कंकड़, मिट्टी, बजरी और मलबा — अब इस स्थान को असहज और अस्वच्छ बना चुका है।
कीचड़, गंदगी और शौच की बदबू ने छीनी आजीविका की गरिमा
टंकी के आसपास जगह-जगह जल रिसाव के कारण लगातार कीचड़ जमा हो रहा है। खुले में पानी बहने और उचित नाली की व्यवस्था नहीं होने से सब्ज़ी बेचने वाले विक्रेताओं, खासकर महिलाओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दो वक्त की रोटी कमाने के लिए महिलाएं किसी निजी बरामदे या चबूतरे पर बैठकर सब्ज़ियाँ बेचने को मजबूर हैं, लेकिन ग्राहकों की संख्या भी गंदगी और दुर्गंध के कारण प्रभावित हो रही है।बारिश के मौशम में तो और भी हालत खराब हो जाती है।
स्थिति तब और बिगड़ जाती है जब टंकी के पास सुलभ शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं होने से राह चलते व्यक्ति और बैंक में आने वाले लोग टंकी के पास कोने में खुले में शौच करते हैं, बैंक, जो चौक के पास स्थित है, वहाँ दिनभर लोगों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव हर आम आदमी की परेशानी को बढ़ा रहा है।
प्रशासन की अनदेखी बनी सबसे बड़ी विडंबना
स्थानीय प्रशासन की चुप्पी और विभागीय उदासीनता से जनता का भरोसा टूटता जा रहा है। जहाँ थोड़ी सी सफाई और एक नाली के निर्माण से हालात सुधर सकते हैं, वहीं वर्षों से सब्ज़ी बेचकर जीवन यापन करने वालों की दुश्वारियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। आज़ाद चौक को नाम के अनुरूप फिर से “स्वच्छ और गरिमामयी” बनाने के लिए प्रशासनिक पहल अब अनिवार्य हो चुकी है।