वकील का काम केवल अपने पेशे तक सीमित न होकर पूरे समाज का प्रतिनिधित्व करना होता है-डॉ.मनोज आहूजा

केकड़ी 05मई (डॉ मनोज आहूजा,तिरुवनंतपुरम) इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स की केरल इकाई की ओर से वार्षिक बैठक के तीसरे दिन शनिवार को माउंट कारमेल कन्वेंशन सेंटर पर आयोजित हुई।जिसके मुख्य अतिथि केरल हाईकोर्ट के न्यायाधीपति जस्टिस एन नागाबेश रहे।जिनका परिचय आई एल के सेकरेट्री अश्विन बक्शी ने करवाते हुए उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला। कानूनी अभ्यास शुरू किया तथा उनके द्वारा निर्णित किये गए कई निर्णयों की भी जानकारी दी गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जस्टिस एन नागाबेश ने संस्था द्वारा किये गए बेहतरीन व्यवस्थाओं तथा केरल इकाई अध्यक्ष एडवोकेट जय चन्द्रन की तारीफ करते हुए कहा कि वो हाईकोर्ट के बेस्ट एडवोकेट हैं जो बार और बैंच के मध्य सौहार्दपूर्ण वातावरण रखने में अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हैं।उन्होंने कहा कि संविधान के मूल स्वरुप के सम्बन्ध में विभिन्न विधि वेताओं के अलग तर्क हैं लेकिन मेरी राय में मौलिक अधिकारों के स्वरुप को बनाए रखना ही संविधान के मूल स्वरुप को बनाए रखना है।उन्होंने कहा कि अधिवक्ता इस सोसायटी का नैच्युरल लीडर होता है।

आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक समाज में वकीलों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है जिसे नकारा नहीं जा सकता। वर्तमान परिपेक्षय में भी संविधान की रक्षा करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अधिवक्ता की ही है। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आई ए एल के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एडवोकेट डॉ.मनोज आहूजा ने कहा कि संसद के पास संविधान में संशोधन करने की व्यापक शक्तियाँ हैं,लेकिन यह इसकी मूल संरचना या मौलिक विशेषताओं को बदल नहीं सकती है।लेकिन पिछले कुछ सालों से न्यायपालिका की शक्तियों और स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहा है।राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग लाकर कॉलेजीयम सिस्टम को खत्म करने का प्रयास किया गया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे असंवेधानिक घोषित कर दिया अब फिर से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के प्रयास किये जा रहे हैं। संविधान के मौलिक स्वरुप को बदलने की कोशिश की जा रही हैं ऐसे में अधिवक्ताओं की जिम्मेदारी बढ़ गई है।उन्होंने कहा कि अधिवक्ता को सामाजिक इंजिनियर माना गया है।
उन्होंने कहा कि एक अच्छा वकील वो होता है जो खुद के साथ-साथ समाज और पूरे राष्ट्र के साथ-साथ लोकतंत्र को मजबूत बनाने में मील का पत्थर होता है।वकील का काम केवल अपने पेशे तक सीमित न होकर पूरे समाज का प्रतिनिधित्व करना भी होता है।इस देश की आजादी में भी वकीलों की अहम भूमिका रही है।वर्तमान हालातों में भी अधिवक्ता की जिम्मेदारी बढ़ गई है उन्हें आगे आकर संविधान तथा देश की न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए।कार्यक्रम को आई ए एल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर एस चीमा ने भी सम्बोधित करते हुए अधिवक्ता की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान स्थितियों पर प्रकाश डालते हुए अधिवक्ताओं को संविधान की रक्षा करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होना बताया। इससे पूर्व केरल इकाई द्वारा कार्यक्रम के अतिथियों का अभिनन्दन भी किया गया।
सेमीनार के तीसरे दिन भी देश के करीब 300 डेलिगेट्स ने अपनी उपस्थिति देकर कार्यक्रम को गरिमामयी बना दिया।कार्यक्रम में राजस्थान से वरिष्ठ अधिवक्ता कुणाल रावत,सीकर बार के पूर्व अध्यक्ष सूरज भान सिंह,गंगानगर बार के पूर्व अध्यक्ष इंद्रजीत बिश्नोई,अजमेर से डॉ.मनोज आहूजा,सत्यनारायण हावा,द्वारकेश व्यास,पंकज जैन,रामेश्वर शर्मा,नीरज युवराज सिंह,अनीता धायल,झारखण्ड से रंजीत गिरी,एडवोकेट मेडलिन सहित देश के विभिन्न प्रांतों से आए हुए एडवोकेट उपस्थित रहे।