मानवाधिकार दिवस: जागरूकता से बदलाव की ओर,नुक्कड़ नाटक से किया जागरूक
बिजयनगर ,10 दिसम्बर (केकड़ी पत्रिका/तरनदीप सिंह) श्री प्राज्ञ महाविद्यालय, बिजयनगर में 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के अवसर पर छात्र परिषद के तत्वाधान में विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस आयोजन में नुक्कड़ नाटक और पोस्टर निर्माण प्रमुख आकर्षण रहे। बीएससी के विद्यार्थियों ने समाज में व्याप्त असमानताओं और मानवाधिकारों के हनन से जुड़े गंभीर विषयों पर आधारित नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया।
इस नाटक में महिलाओं के लिए शिक्षा के अधिकार (RTE), समाज में महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखने की चुनौती, जातिगत भेदभाव, अछूतता तथा आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों को प्रमुखता से दर्शाया गया। विद्यार्थियों ने इन विषयों को वास्तविक जीवन की परिस्थितियों से जोड़ते हुए यह संदेश दिया कि शिक्षा और समानता हर व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है और समाज को इन अधिकारों के संरक्षण के लिए जागरूक होना चाहिए। बीसीए के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत नाटक भी काफी प्रभावशाली रहा। उन्होंने परिवार में बुजुर्गों के अपमान, दुकानदारों द्वारा श्रमिकों के शोषण तथा बच्चों के शिक्षा के अधिकार जैसे विषयों को अपने नाटक में शामिल किया।

नाटक के माध्यम से विद्यार्थियों ने यह स्पष्ट किया कि बुजुर्गों का सम्मान, श्रमिकों के अधिकार और बच्चों की शिक्षा किसी भी सभ्य समाज की मूल पहचान है। उनकी प्रस्तुति ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से प्रभावित किया और समाज में सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया। बीए के विद्यार्थियों ने “प्रोटेस्ट इज आवर राइट” विषय पर आधारित नाटक के माध्यम से छात्र अधिकारों, सेमेस्टर प्रणाली की अनियमितताओं और छात्र आंदोलनों को मंचित किया। इस नाटक में छात्रों ने अपनी समस्याओं, अधिकारों तथा आवाज उठाने के लोकतांत्रिक अधिकार को दृश्यों के माध्यम से अत्यंत सशक्त रूप से प्रस्तुत किया।कार्यक्रम में मानवाधिकार जागरूकता विषय पर पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। इसमें युवराज (बीए), आसिफ (बीए), लक्की (बीबीए) और माही छाजेर (बीसीए) द्वारा आकर्षक व सारगर्भित पोस्टर तैयार किए गए, जिनमें मानवाधिकारों के प्रति जागरूक करने वाले संदेश शामिल थे।

कार्यक्रम की सराहना करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. दुर्गा कंवर मेवाड़ा ने कहा कि ऐसे आयोजन छात्रों में सामाजिक मुद्दों को समझने और मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशील बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों के प्रयासों की प्रशंसा की और भविष्य में भी ऐसे आयोजन निरंतर जारी रखने पर बल दिया।
