खेतों में कदम, मृदा की पहचान : विश्व मृदा दिवस पर शैक्षिक भ्रमण का आयोजन
बिजयनगर 05 दिसम्बर (केकड़ी पत्रिका/तरनदीप सिंह) विश्व मृदा दिवस के उपलक्ष्य पर श्री प्राज्ञ महाविद्यालय, बिजयनगर के विद्यार्थियों तथा शिक्षकों ने रुपाहली गाँव का भ्रमण किया, जिसका उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य और स्थायी कृषि पद्धतियों के बारे में प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करना था ।
इस भ्रमण में विद्यार्थियों ने विविध कृषि गतिविधियों का अवलोकन किया, जो मृदा संरक्षण और जैव विविधता के महत्व को उजागर करती हैं। सबसे पहले, उन्होंने अमरूद तथा अनार के बाग का दौरा किया, जहाँ उन्हें फलदार पौधों की देखभाल और मृदा स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाली तकनीकों के बारे में जानकारी दी गई। बाग में जैविक खाद और कम पानी वाली सिंचाई पद्धतियों का उपयोग किया जा रहा था, जो मृदा की उर्वरता को बनाए रखने में सहायक हैं। इसके बाद, सरसों के खेत में जाकर विद्यार्थियों ने रोटेशन क्रॉपिंग के लाभों पर चर्चा की, जिससे मृदा की पोषक तत्वों की पुनःपूर्ति होती है और कीट-प्रबंधन में मदद मिलती है ।
आँवला के पेड़ों के पास, उन्हें इसके औषधीय गुणों और मृदा संरक्षण में इसकी भूमिका के बारे में बताया गया। रुद्राक्ष के पेड़, जो अपने सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, ने विद्यार्थियों को इसके उपयोगों से भी परिचित कराया। इसके अलावा, बजारा नींबू की खेती को देखकर उन्होंने सूखा-प्रतिरोधी फसलों के महत्व को समझा, जो कम पानी में भी अच्छी उपज देती हैं और मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं। भ्रमण का एक और आकर्षक पहलू मुर्गी पालन फार्म हाउस का दौरा था। यहाँ विद्यार्थियों ने जैविक खाद उत्पादन और एकीकृत खेती के बारे में सीखा, जहाँ पशुपालन और कृषि को मिलाकर संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जाता है। प्राचार्या डॉ. दुर्गा कंवर मेवाड़ा ने इस अवसर पर कहा, “मृदा हमारी जीवनदायिनी है। इसका संरक्षण और संवर्धन हमारी जिम्मेदारी है।
इस भ्रमण से विद्यार्थियों को न केवल मृदा के महत्व का ज्ञान मिला, बल्कि स्थायी कृषि पद्धतियों को अपनाने की प्रेरणा भी मिली।” उन्होंने जोर दिया कि जैव विविधता को बढ़ावा देने और रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए हमें प्राकृतिक तरीकों को अपनाना होगा।
