विश्व दिव्यांग दिवस: समावेश और सम्मान का संकल्प
आसींद 03 दिसम्बर (केकड़ी पत्रिका/विजयपाल सिंह राठौड़) हर साल 3 दिसंबर को पूरी दुनिया में विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिव्यांगजनों के अधिकारों, कल्याण और उनकी उपलब्धियों को समर्पित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य समाज के सभी क्षेत्रों में दिव्यांगजनों के प्रति समझ और जागरूकता को बढ़ाना, और उन्हें सशक्त बनाने वाले वातावरण का निर्माण करना है।दिवस का महत्व और उद्देश्य-विश्व दिव्यांग दिवस केवल एक औपचारिक तारीख नहीं है, बल्कि यह समावेशी समाज के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण संकल्प है।
इसके मुख्य उद्देश्य
जागरूकता बढ़ाना: दिव्यांगजनों के जीवन में आने वाली चुनौतियों और उनके सामने मौजूद अवसरों के बारे में जनमानस को जागरूक करना।अधिकारों को सुनिश्चित करना: शिक्षा, रोज़गार, परिवहन और सार्वजनिक जीवन के अन्य क्षेत्रों में उनके मानवाधिकारों और मूलभूत स्वतंत्रताओं को सुनिश्चित करना।समान भागीदारी: समाज के आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहलुओं में उनकी पूर्ण और समान भागीदारी को बढ़ावा देना।भेदभाव समाप्त करना: दिव्यांगता के आधार पर होने वाले किसी भी प्रकार के भेदभाव और कलंक को मिटाना।’
दिव्यांग’ की अवधारणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विकलांग’ शब्द के स्थान पर ‘दिव्यांग’ शब्द का प्रयोग करने की अपील की, जिसका अर्थ है दिव्य अंग या दैवीय क्षमता वाला व्यक्ति। यह बदलाव समाज की सोच में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास है, जहां दिव्यांगता को कमजोरी नहीं, बल्कि एक विशेष क्षमता के रूप में देखा जाए।समावेशी समाज के लिए कदम दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने और उनके लिए एक सुगम्य दुनिया बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं:शिक्षा और कौशल विकास: विशेष शिक्षण उपकरण और समावेशी स्कूलों के माध्यम से उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना।सुगम्यता: ‘सुगम्य भारत अभियान’ जैसी पहलों के तहत सार्वजनिक स्थानों, परिवहन और सूचना प्रौद्योगिकी को दिव्यांगजनों के लिए उपयोग में आसान बनाना।रोज़गार के अवसर: सरकारी और निजी क्षेत्रों में उनके लिए आरक्षण और अनुकूल कार्य वातावरण प्रदान करना।कानूनी संरक्षण: दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के माध्यम से उनके अधिकारों को कानूनी बल प्रदान करना।