ट्रायल कोर्ट के अधिवक्ताओं को भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति दी जानी चाहिए-मनोज आहूजा
- बार कॉन्सिल ऑफ़ राजस्थान के प्रत्याशी मनोज आहूजा ने मुख्य न्यायाधिपति को लिखा पत्र,की मांग
केकड़ी 18 नवंबर, (केकड़ी पत्रिका) बार एसोसिएशन केकड़ी के अध्यक्ष व अखिल भारतीय संयुक्त अधिवक्ता मंच के प्रदेश सचिव मनोज आहूजा ने देश की कॉलेजियम व्यवस्था में बदलाव की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश,महामहिम राष्ट्रपति महोदया,प्रधानमंत्री महोदय व देश के कानून मंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि कॉलेजीयम सिस्टम में सुधार होना आवश्यक है,अधीनस्थ न्यायालय के अधिवक्ताओं को भी जज बनाया जाना चाहिए तथा भृष्ट और निकम्मे जजों की छंटनी करनी चाहिए तभी न्यायपालिका में सुधार होगा और न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनी रह सकेगी।आहूजा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब संवेधानिक संशोधन करते हुए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग का गठन किया तब सुप्रीम कोर्ट ने उसे असंवेधानिक घोषित करते हुए जो जजमेंट पारित किया उसमें भी ट्रायल कोर्ट के अधिवक्ताओं को न्यायाधीश नियुक्त करने के सम्बन्ध में दिशा निर्देश जारी किये थे लेकिन अभी तक ट्रायल कोर्ट के अधिवक्ताओं को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
आहूजा ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के अधिवक्ता जमीन से जुड़े हुए होकर न्यायालय में आने वाले मामलों से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए होते हैं।वो साक्ष्य अधिनियम सहित कानून के विविध पहलुओं का बारीकी से अध्ययन करते हैं और उन्हें कानून के विभिन्न पहलुओं की बारीकी से नॉलेज रहती है और उन्हें भी बार कॉन्सिल द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट तक के न्यायालयों में पैरवी करने हेतु अधिकृत किया जाता है फिर उन्हें हाईकोर्ट जज के रूप में नियुक्ति क्यों नहीं दी जाती है। आहूजा ने मांग की है कि कॉलेजियम सिस्टम में विचारण न्यायालय के अधिवक्ताओं को शामिल किया जावे।