संतों की आत्मा के अंतर्नाद का दिव्य प्रकाश है पुष्कर
संतों की आत्मा के अंतर्नाद का दिव्य प्रकाश है पुष्कर यह कथन बताता है कि पुष्कर केवल भौतिक स्थान नहीं है वरन एक ऐसा स्थल है जहां सदियों से चली आ रही संतों की सात्विकता और आध्यात्मिक विरासत का वास है यह यहां के घाटों मंदिरों और पवित्र सरोवर में महसूस की जाने वाली शांति और दिव्यता को दर्शाता है ।
यह संतों के आत्मिक विचारों ,भावनाओं और भगवान की प्रति उनकी गहन आस्था का प्रतीक हैतीर्थराज पुष्कर का स्मरण आते ही प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में आध्यात्मिक चेतना हिलोरे लेने लगती है ।त्याग तप और तपस्या की यह भूमि हृदय को अलौकिक आनंद प्रदान करती है संतों के समागम का आध्यात्मिक स्थल है पुष्कर, जहां आध्यात्मिक वैभव का अलौकिक आनंद लेने के लिए लोग देश विदेश से लाखों की संख्या में आकर ईश्वरिय प्रेम भक्ति से युक्त अपने भावों का प्रदर्शन करते हैं पुष्कराज का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मिलन पौराणिक इतिहास और धार्मिक अनुष्ठानों में निहित है पौराणिक मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने यज्ञ के लिए इस स्थान पर एक झील का निर्माण किया था ।
कार्तिक मास पूर्णिमा के दिन पुष्कर झील में स्थान करने से मोक्ष की मान्यता है। इसके साथ ही यहां आयोजित होने वाला विश्व प्रसिद्ध मेला जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त है पुष्कर में आयोजित होने वाला पशु मेला राजस्थान की लोक कला, संस्कृति और पारंपरिक कलाओं को प्रदर्शित करता है।तीर्थराज पुष्कर में संतों का समागम आध्यात्मिक आनंद के साथ सनातनी परंपरा का निर्वहन है जहां चारों ओर भक्ति के प्रकाश से तीर्थ का अलौकिक वैभव दृष्टित होता है ।महाभारत काल के दौरान पांडवों ने यह वनवास का कुछ समय बिताया था ऋषि मुनियों की तपस्थली होने के साथ-साथ यहां माता गायत्री शक्तिपीठ स्थित है जहां देवी सती के कंगन गिरने की मान्यता है।पुष्कर में भगवान ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर स्थित है जहां साल भर में कार्तिक मास का बड़ा महत्व रहता है कार्तिक मास में प्रकृति जड़ चेतन और मुख्य जीवों के साथ आत्मीय संबंध बनाते हैं।
पौराणिक मान्यता है की ब्रह्मा जी ने यहां पर यज्ञ का शुभारंभ कार्तिक एकादशी से प्रारंभ कर कार्तिक पूर्णिमा तक संपन्न किया था इस कारण प्रतिवर्ष कार्तिक एकादशी से पूर्णिमा तक पुष्कर में भारी मेला बढ़ता है ।लाखों की संख्या में इन 5 दिनों में श्रद्धालु झील में डुबकी लगाते हैं। धर्म शास्त्रों में पंच तीर्थ में पुष्कर झील को परम पवित्र माना है पुष्कर को तीर्थराज कहा जाता है पुष्कर झील का पानी आध्यात्मिक महत्व रखता है इसके पानी में अनेक औषधीय गुण हैपुष्कर राज संतो के आध्यात्मिक विचारों भावनाओं और भगवान के प्रति उनकी गहन भक्ति का प्रतीक है”यत्रापि संजुता नर: स्वपुष्करं निविज जति पितामहस माधवस्य प्रसन्नता प्रयाति।”