विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा: डॉ. सुनील लुहार का वैज्ञानिक सफर

आसींद 03 अक्टूबर (केकड़ी पत्रिका/विजयपाल सिंह राठौड़) राजस्थान की धरती हमेशा से प्रतिभाओं की जननी रही है। इसी कड़ी में भीलवाड़ा जिले के छोटे से गाँव बराना से निकलकर डॉ. सुनील लुहार ने अपने वैज्ञानिक कार्यों से न केवल प्रदेश का नाम रोशन किया है, बल्कि पूरे भारत के विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं। हाल ही में उन्हें आईआईटी गांधीनगर में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया, जहाँ उन्होंने “इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर” विषय पर अपने शोध कार्यों की जानकारी दी और छात्रों को विज्ञान में नवाचार की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा से शोध तक का सफर
डॉ. लुहार की शिक्षा यात्रा बेहद प्रेरणादायक रही है। प्रारंभिक पढ़ाई उन्होंने आसिंद और बराना से की। इसके बाद एम.एल.वी. कॉलेज, भीलवाड़ा से बी.एससी. की डिग्री प्राप्त की। आगे बढ़ते हुए उन्होंने के.एस.वी. गांधीनगर से एमएससी. पूरी की और फिर सीएसआईआर सीएसएमसीआरआई (भवनगर, गुजरात) तथा आरएमआईटी यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया के संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम में चयनित हुए।
पीएचडी के दौरान उनका शोध सेंसर टेक्नोलॉजी पर केंद्रित था। उन्होंने ऐसे इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर विकसित किए जो कैंसर से संबंधित बायोमार्कर और डोपामिन (Dopamine) जैसे अणुओं का पता लगाने में सक्षम हैं। यह कार्य चिकित्सा विज्ञान के लिए अत्यंत उपयोगी माना जाता है क्योंकि कैंसर और न्यूरोलॉजिकल रोगों की पहचान समय रहते करना उपचार के लिहाज़ से बहुत महत्वपूर्ण है।
पोलैंड में पोस्टडॉक्टोरल शोध
वर्तमान में डॉ. सुनील लुहार पोलैंड में पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता के रूप में कार्यरत हैं। यहाँ उनका कार्य इलेक्ट्रोड को और अधिक संवेदनशील (Sensitive) और चयनात्मक (Selective) बनाने पर केंद्रित है।
वे बैक्टीरिया के बीच होने वाली क्वोरम सेंसिंग (Quorum Sensing) प्रक्रिया पर शोध कर रहे हैं। यह वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से बैक्टीरिया आपस में छोटे-छोटे अणुओं का आदान-प्रदान करके संवाद करते हैं। इनमें से एक प्रमुख अणु है PQS (Pseudomonas Quinolone Signal)। डॉ. लुहार ऐसे इलेक्ट्रोड तैयार कर रहे हैं जो इस अणु को पहचानकर यह बता सकें कि संक्रमण किस अवस्था में है। इस शोध से भविष्य में बैक्टीरियल इंफेक्शन का शुरुआती स्तर पर ही पता लगाना संभव होगा और समय पर इलाज किया जा सकेगा।
इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर की उपयोगिता
इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर आधुनिक विज्ञान की एक महत्वपूर्ण तकनीक है। यह किसी भी रासायनिक अणु की उपस्थिति को विद्युत संकेत में बदल देते हैं।
• डायबिटीज़ के मरीजों के लिए इस्तेमाल होने वाले ग्लूकोज़ सेंसर इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं।
• डॉ. लुहार के विकसित किए गए सेंसर कैंसर और डोपामिन जैसे अणुओं की पहचान करने में सक्षम हैं।
भविष्य में इन सेंसरों का उपयोग न केवल चिकित्सा क्षेत्र बल्कि पर्यावरण निगरानी और औद्योगिक नियंत्रण में भी व्यापक रूप से होगा।
अंतरराष्ट्रीय पहचान और यात्राएँ
डॉ. सुनील अब तक 10 से अधिक देशों की वैज्ञानिक यात्राएँ कर चुके हैं। विभिन्न प्रयोगशालाओं और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेकर उन्होंने वैश्विक शोध नेटवर्क से मजबूत संबंध स्थापित किए हैं। इन अनुभवों ने उन्हें नई तकनीकों को समझने और विज्ञान को व्यापक दृष्टिकोण से देखने का अवसर प्रदान किया है।
विद्यार्थियों के लिए संदेश
आईआईटी गांधीनगर में अपने व्याख्यान के दौरान डॉ. लुहार ने छात्रों को संदेश दिया कि विज्ञान केवल किताबों तक सीमित नहीं है। उनके अनुसार, “शोध का उद्देश्य केवल डिग्री हासिल करना नहीं होना चाहिए, बल्कि यह जिज्ञासा जगाने और समाज की समस्याओं का समाधान खोजने का माध्यम होना चाहिए।”
उनकी कहानी यह सिखाती है कि गाँव से निकलकर भी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रयोगशालाओं तक पहुँचना संभव है। इसके लिए सबसे ज़रूरी है मेहनत, लगन और निरंतर सीखने की इच्छ,अपनी इस सफलता का श्रेय डॉ. सुनील लुहार अपने पिता गोपाल लुहार, माता कंकू देवी, पत्नी पायल लुहार, बेटे भावनिल लुहार सहित पूरे परिवार, मित्रों और अपने सभी शिक्षकों को देना चाहते हैं। उनका कहना है कि परिवार और मार्गदर्शकों का सहयोग ही उन्हें कठिन परिस्थितियों में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहा है।