23 October 2025

राक्षस का वध कर बांके गढ़ में प्रकट हुई थी बंक्यारानी,आसीन्द के बंक्यारानी माताजी के मंदिर में आज से उमड़गा आस्था का ज्वार

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आसींद 21 सितंबर (केकड़ी पत्रिका/विजयपाल सिंह राठौड़) राक्षस का वध कर बांके गढ़ में प्रकटहुई थी बंक्यारानी माता बक्यारानी का स्थान भीलवाड़ा जिले के आसींद तहसील के माताजी खेड़ा में स्थित है। आसीद उपखंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर आसींद शाहपुरा मार्ग पर पहाड़ी पर विशाल मंदिर में माता की मूर्ति स्थापित है। नवरात्र में यहा पर हजारों लोग आते हैं। यहां पर हनुमानजी, भगवान भैरव माता बंक्यारानी का प्रसिद्ध स्थान है। मंदिर के पास तालाब है। यहां शनिवार और रविवार को विशेष भीड रहती है जो भी माता के दर्शन करने आते हैं माना जाता हे की उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।

बंक्यारानी माता मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। सावन के माह में यहां की हरियाली मनमोहक रहती है। दूर से देखते हैं तो भी नजारा ही बनता है।बंक्यारानी माता मंदिर आसींद से 10 किमी दूर आसींद शाहपुरा मार्ग स्थित है। मंदिर के पास बालाजी का मंदिर है। प्रत्येक नवरात्र में मेले जैसा माहौल रहता है। शक्ति स्थल पर ट्रस्ट का द्वारा कार्य सम्पादित होता हे। हर साल शारदीय व चैत्र नवरात्र में यहां प्रतिदिन माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है।बंक्यारानी पर बनी फिल्म शक्ति स्थल की प्रेत बाधा की विशेषताओं को लेकर मिसेज बचानी ने ऑयज शॉप स्टोन, नाम से फिल्म बनाई थी, जो फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय फिल्म मेले में स्वर्ण पदक से नवाजी गई। नवरात्र में शोधकर्ताओं. फिल्म निर्माताओं, गायको और कलाकारों का आना-जाना लगा रहता है।

मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष देवी लाल गुर्जर ने बताया कि नवरात्र में विभिन्न राज्यों से लोग यहां आते हैं। मान्यताओ के अनुसार मंदिर में देवी के दर्शन मात्र से बीमारी से ग्रस्त रोगी के आचार विचार में परिवर्तन देखने को मिलता है। नवरात्र के नो दिन तक कई परिवार यहां पर रहते हैं। महिलाएं एक किलोमीटर दूर हनुमान मंदिर तक जाती है,राक्षस का वध कर बांके गढ़ में प्रकट हुई थी बंक्यारानी प्रचलित कथाओं के आधार पर मंदिर के पुजारी देवीलाल गुर्जर ने बताया कि बंकिया माता बकेसुर राक्षस का वध कर बांके गढ़ में प्रकट हुई। वहां से प्रस्थान कर आकाश मार्ग से जा रही थी। प्राचीन बदनोर प्रांत के आमेसर के जंगलों में बाल गोपाल पशु चरा रहे थे उन्हें वह दिखाई दी और वे चिल्ला उठे। पुकारने पर माता भवानी ने अपनी यात्रा स्थगित कर वर्तमान में स्थापित मूर्ति की जगह उतर आई उस जगह पाषाण का रूप धारण किया। बताया जाता है कि ईसरदास पंवार निसंतान था, उसको बच्चा दिया इसके बदले में महिषासुर भैसे की बलि देनी थी लेकिन वह वादा भूल गया। उसका बच्चा 12 वर्ष का होने पर जन्मदिन पर बच्चे ने कहा कि मैं बंक्यारानी के समर्पित होने जा रहा हूं और अपना शीश मां के अर्पित कर दिया। परिवार जन वहा आए तो शीश कटा हुआ सोने की थाली में पड़ा था। मंदिर के बाहर कटे हुए धड़ पर सर रखे हुए की मूर्ति लगी हुई है।

यहां शिलालेख है, लेकिन अब कुछ नजर नहीं आता है। मंदिर के पास ही एक किलोमीटर दूर आमेसर रोड पर हनुमान मंदिर है। मंदिर आने वाले भक्त यहां बिना दर्शन के नहीं रहते। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर ट्रस्ट द्वारा बिजली पानी एवं नवरात्र में भोजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती हैं श्रद्धालु की सुरक्षा के लिए शंभूगढ़ थाने का जाप्ता 24 घंटे तैयार रहता है। पहाड़ी पर बना है बंक्यारानी माता जी का मंदिर माता जी का खेड़ा में स्थित आसींद शाहपुरा मुख्य मार्ग पर विशालकाय पहाड़ी पर मंदिर बना हुआ है, मंदिर प्राकृतिक रूप से निर्मित है यह माताजी की एकमात्र ऐसा शक्तिपीठ है जिसकी मूर्ति प्राकृतिक रूप से निर्मित है, करीब 1200 साल पुराने इस मंदिर में भूत प्रेत एवं ऊपरी हवाओं से पीड़ित व्यक्तियों से मुक्ति मिलती हैं. यहां पर पूरे राजस्थान ने नहीं अन्य प्रांत से भी लोग दर्शन के लिए आते हैं। ऊपरी हवाओं से पीड़ित व्यक्ति नवरात्र में परिवार सहित रहते हैं यहां माता बंक्यारानी के सानिध्य में उनको ऊपरी हवाओं से मुक्ति मिलने के बाद यहां हवन प्रसादी करने के बाद जाते हैं. 1200 साल पुराने मंदिर में चढ़ने के लिए करीब 200 से अधिक सीढ़ियां बनी हुई है यहां पर अब ट्रस्ट द्वारा कई विकास कार्य करवाए जा रहे है।

श्रद्धालुओं के लिए रहने ठहरने की निशुल्क व्यवस्था है। यहां पर पुराने मंदिर का जीणोद्वार करते हुए करीब 2 करोड रुपए की लागत से विशाल मंदिर निर्माण कार्य जारी है, यहां पर मास्टर प्लान बनाकर शौचालय स्नानधर, यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशाला, स्वास्थ्य केंद्र सहित कई कार्य की शुरुआत होने वाली है।देश प्रदेशों तक फैली है इस शक्तिपीठ की ख्याति नीम की पत्तियों से होता है बंक्यारानी का श्रृंगार बंक्यारानी शक्तिपीठ में स्थापित यहां पर करीब 4 फीट ऊंची बक्यारानी की मूर्ति स्थापित है माता जी के यहां पर नीम की पत्तियों का श्रृंगार होता है विशेष पर्व पर सोने चांदी और रन जड़ित आभूषण से माताजी का विशेष श्रृंगार किया जाता है, यहां पर चार प्रहर विशेष पूजा की जाती हैं दोनों नवरात्रि में हजारों की संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं। प्रत्येक शनिवार और रविवार को यहां पर मिले जैसा माहौल रहता है। यहां पर श्री बंक्यारानी धार्मिक एवं चैरिटेबल ट्रस्ट (माताजी का खेड़ा) बना हुआ है। इस ट्रस्ट में पदाधिकारी समेत 57 लोग ट्रस्ट से जुड़े है।

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