जीवन में धैर्यता रहेगी तो परिवार और समाज टूटेगा नहीं: धैर्य मुनि

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आसींद 07 अगस्त (केकड़ी पत्रिका/ विजयपाल सिंह राठौड़) जीवन में धैर्यता के साथ कोई भी कार्य संपन्न करने की कोशिश करे तो उसमें सफलता आसानी से मिल जाती है। जल्दबाजी में किए गए कार्य का परिणाम विपरीत आ सकता है। धैर्य रखने से आत्मबल मजबूत होता है। घर, परिवार, समाज में जो कार्य धैर्य के साथ किए जाते है उनके परिणाम सकारात्मक आते है। जीवन में सफलता पाने के लिए धैर्यवान होना जरूरी है। उक्त विचार नवदीक्षित संत धैर्य मुनि ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।
मुनि ने कहा कि जहां पर अशांति है वहां पर दोनों ही पक्ष परेशान होते है। हमारे जीवन में धैर्य आ जावे तो परिवारों के सभी झगड़े समाप्त हो जायेंगे। कर्मसता दुःख देने के लिए आती है, धैर्य के साथ कर्म को झेले तो दुःख भी सुख में तब्दील हो जाता है। आम और इमली का पेड़ कितना धैर्यवान होता है। जीवन में धैर्य रहेगा तो परिवार और समाज कभी टूटेगा नहीं।
साध्वी ऋजु लता ने कहा कि पाप का त्याग करे, सज्जन व्यक्ति पाप से डरता है। वर्तमान युग में लोगों को पाप से डर नहीं है, जानते हुए भी पाप के कार्यों में लगे रहते है। पाप से अशुभ कर्मों का बंधन होता है। पाप का जब उदय आता है तब व्यक्ति की बुद्धि विपरीत हो जाती है। जो पाप जानबूझकर या योजनाबद्ध तरीके से किए जाते है उसके परिणाम काफी गंभीर होते है। जो व्यक्ति पाप के कार्यों का त्याग कर धर्म का सहारा लेता है उसका धर्म भी ध्यान रखता है। धर्म सभा में धीरज मुनि, प्रवर्तिनी डॉ दर्शन लता, कल्प लता म.सा. ने भी प्रेरणा प्रदान की। संघ के संरक्षक शांति लाल बनवट ने भी धर्मसभा में अपने विचार रखे। संघ मंत्री अशोक श्रीमाल ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया।