सलारी बघेरा रोड पर भारी वाहनों से टूटा रोड, ग्रामीणों ने किया चक्का जाम, ग्रेनाइट ट्रेलरों पर रोक की माँग

बघेरा 03 अगस्त (केकड़ी पत्रिका/ललित नामा) कस्बे में सलारी बघेरा रोड पर हाल ही में विकल्पिक मार्ग सेवा के नाम पर भारी वाहनों की आवाजाही ने सड़क की हालत को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया है। खासकर ग्रेनाइट से लदे ट्रेलरों और ट्रकों की आवाजाही एवं भारी टायरों के दबाव ने पूरी रोड को तहस-नहस कर दिया है।इस कारण ग्रामीणों ने बघेरा में पुलिया के पास जाम लगा दिया घंटे यह जाम लग रहा जिससे दर्जनों की संख्या में वाहनों का लंबी कतार के कारण घंटों तक लंबा जाम लगा रहा, जिसमें दर्जनों वाहन फँसे रहे।

लंबे समय तक जब वाहनों की कतार लगी रही मौके पर पुलिस प्रशासन के पहुंचने और समझाइश तथा आश्वाशन के बाद जाम खोला गया ।
गड्ढे, कीचड़ और जानलेवा हालात
इस मार्ग पर जगह-जगह गहरे गड्ढे हो चुके हैं, कीचड़ का आलम यह है कि दोपहिया वाहन चालकों को भी निकालना मुश्किल हो गया है। बारिश के कारण हालात और बिगड़ गए हैं, जिससे कई लोग फिसलकर दुर्घटनाग्रस्त भी हो चुके हैं।
स्थानीय नागरिक सुरेश मीणा ने बताया –“यह रोड अब वाहन चलाने लायक नहीं बची। दो पहिया क्या, पैदल निकलना भी खतरे से खाली नहीं।”

ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, पुलिया पर किया जाम
इस खस्ताहाल और बढ़ते खतरे के खिलाफ रविवार को ग्रामीणों ने बघेरा सलारी रोड पर स्थित डाई नदी की पुलिया राजा की महाराज मंदिर के सामने जाम लगा दिया भारी वाहनों की आवाजाही रोकने और रोड की मरम्मत की मांग को लेकर सैकड़ों नागरिक एकत्र हुए और सड़क पर जाम घंटे जाम लगा रहने के बाद प्रशासन मौके पर पहुंचा और काफी मस्तक और समझाइए कि के बाद इस मार्ग को खोला गया।इस कारण घंटों तक लंबा जाम लगा रहा, जिसमें दर्जनों वाहन फँसे रहे।

ग्रामीणों की प्रमुख माँगें:
- सलारी बघेरा रोड पर ग्रेनाइट वाहनों की आवाजाही पर तत्काल रोक लगाई जाए।
- रोड को तत्काल दुरुस्त किया जाए, गड्ढों को भरा जाए।
- भारी वाहनों के लिए अलग वैकल्पिक मार्ग सुनिश्चित किया जाए।
- दुर्घटनाओं से बचने हेतु चौकसी और ट्रैफिक निगरानी की स्थायी व्यवस्था हो।
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार सोशल मीडिया और स्थानीय अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
“अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है,” – यह चिंता हर ग्रामीण की जुबान पर है।
सड़कें किसी भी क्षेत्र की जीवन रेखा होती हैं, लेकिन जब विकास की आड़ में अव्यवस्था बढ़े, तो आमजन को ही उसकी कीमत चुकानी पड़ती है। प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वह जल्द संज्ञान ले और उचित कार्रवाई करे।