नाग पंचमी के पावन पर्व की महत्वत्ता और सर्प शिक्षा अभियान

बिजयनगर 29 जुलाई (केकड़ी पत्रिका/ तरनदीप सिंह) नाग देवता आदिकाल से मानव प्राणी का रक्षक रहा है1380 लाख वर्ष पूर्व नाग देवताओं का अस्तित्व इस धरती पर से चला आ रहा है, जबकि मनुष्य 3 लाख वर्ष पूर्व धरती पर आए lजब हमारे पूर्वज कृषि करते थे तब चूहे गिलहरी आदि फसलों को नुकसान पहुंचा ते थे उसे समय हमारे पूर्वजों ने देखा कि नाग देवता और अन्य सरपो ने कृषि के पर जीवियों को नष्ट करना शुरू किया जिससे कि हमारे कृषक पूर्वज भुखमरी से बच सके और उस समय से ही नाग को देवता के रूप में पूजा जाने लगा है जिसका वेदों शास्त्रों में में भी उल्लेख है और सनातनी परंपराओं में आदिकाल से सावन माह की पंचमी को नाग पंचमी पर्व के रूप मे मनाने लगे । जिसका मुख्य उद्देश्य नाग और सरपो के जीवन को संरक्षण देना था ।
आज संपूर्ण भारत देश एक त्यौहार के रूप में मना रहा है संपूर्ण संसार में भारत एक ऐसा देश है जो की नाग विषैला सर्प होने के बावजूद सर्प की पूजा की जाती है नाग पंचमी के पावन पर्व पर प्रोफेसर कृष्ण कुमार शर्मा पूर्व कुलपति महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी अजमेर और सर्व शिक्षा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक ने यह जानकारी जन-जन के लिए प्रेषित की ।
01 भारमल गुर्जर केसरपुरा राज दरबार कॉलोनी के पास कृष्णा फर्नीचर लाल जी की दुकान के समीप गाड़ी टू व्हीलर बाइक में नाग होने की जानकारी सर्प मित्र, वन मित्र पुलिस मित्र सुरेंद्र सिंह भाटी को मिलने पर वहां पहुंचकर लगभग 1 घंटे की कड़ी मेहनत के नाग देवता को सहज भाव से रेस्क्यू के नाग देवता के दर्शन करने वालो श्रद्धालुओं की होड़ सी लग गई बाद में सर्प शिक्षा अभियान सम्बंधित बचाव, उपचार व सुरक्षा जानकारी से अवगत कराया।
02 अब्दुल मंसूरी वार्ड नंबर 34 के नवनिर्मित मकान में नाग देवता की सूचना पर हां पहुंचने पर देखा तो नाग देवता के लिए दूध की कटोरी रखी हुई थी वह मन में नाग देवता के प्रति श्रद्धा के भाव दिखाई दिए बाद में सहज भाव से रेस्क्यू कर इंडिया मिशन स्नेक बाइट डेथ फ्री इंडिया व सर्प शिक्षा अभियान सर्प दंश मृत्यु वीहिन भारत के बैनर तले आमजन को भयमुक्त व जागरूक किया।