गांव की बेटी समृद्ध बेटी योजना के अंतर्गत आर के पाटनी राजकीय महाविद्यालय में कौशल केंद्र का शुभारंभ

किशनगढ़/अराई 29 जुलाई (केकड़ी पत्रिका/संजीव पाराशर) श्री रतनलाल कंवर लाल पाटनी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, किशनगढ़ में नवाचार एवं कौशल विकास प्रकोष्ठ के तत्वावधान में “गांव की बेटी – समृद्ध बेटी योजना” का भव्य उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों को स्वरोजगार के लिए सक्षम बनाना है।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना के साथ हुई। योजना की संयोजक डॉ. नीलोफर कोहरी ने योजना की पृष्ठभूमि एवं कार्ययोजना प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान तथा ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ की प्रेरणा से प्रारंभ की गई है।
बेटियों को सक्षम बनाना उद्देश्य
प्रथम चरण में किशनगढ़ तहसील एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से 16 से 21 वर्ष आयु वर्ग की 30 बालिकाओं का चयन किया गया है, जिन्हें निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।प्राचार्य प्रो. जे. पी. शुक्ला ने उद्घाटन भाषण में कहा कि नई शिक्षा नीति केवल डिग्री नहीं बल्कि कौशल के माध्यम से आत्मनिर्भरता सिखाने पर बल देती है। उन्होंने कहा कि इस योजना के माध्यम से बेटियों को न केवल आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जाएगा, बल्कि उन्हें अपने जीवन में आत्मविश्वास से भरपूर निर्णय लेने की प्रेरणा भी मिलेगी।
मुख्य अतिथि का प्रेरणादायक उद्बोधन

ख्य अतिथि डॉ. अनुपमा टेलर (अतिरिक्त निदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग, जयपुर) ने अपने प्रेरणादायक वक्तव्य में विभिन्न योजनाओं जैसे “स्वयं सहायता समूह”, “लखपति दीदी”, “लोकल फॉर वोकल”, “नंदनगर योजना”, “राइजिंग राजस्थान” आदि से महाविद्यालय को जोड़ने की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहलें बेटियों को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाती हैं, बल्कि समाज में उनके सम्मान को भी सुनिश्चित करती हैं।
इनका रहा विशिष्ट आतिथ्य
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राजकीय महाविद्यालय, किशनगढ़ के पूर्व छात्र परिषद के सचिव व भाजपा नेता महेन्द्र पाटनी ने स्वरोजगार आधारित शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि वर्तमान समय की मांग है कि शिक्षा केवल नौकरी परक न होकर उद्यमिता को भी बढ़ावा दे। उन्होंने “भामाशाह” परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि समाज में ऐसे दानवीरों की भूमिका सदैव प्रेरणादायक रही है, जो शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के कार्यों में सतत सहयोग देते हैं। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय के पूर्व छात्र संघ को भी इस योजना से और सक्रियता से जोड़ा जाएगा, जिससे संसाधन, मार्गदर्शन और रोजगार के अवसर बढ़ सकें। उन्होंने कहा कि कौशल विकास ही सच्चे अर्थों में आत्मनिर्भरता की कुंजी है और ग्रामीण बालिकाओं को सिलाई जैसे व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की योजनाएं सामाजिक समानता और महिलाओं की सामाजिक स्थिति को सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होती हैं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय साहित्य परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ.विपिनचंद्र पाठक ने अपने उद्बोधन में भारतीय संस्कृति में नारी की गरिमा को रेखांकित करते हुए कहा कि “नारी तू नारायणी” व “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता” जैसे श्लोक केवल धार्मिक आस्थाएं नहीं, बल्कि हमारे सामाजिक मूल्यों की नींव हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जन या रोजगार प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, बल्कि मनुष्य में संवेदना, करुणा, अनुशासन और स्वावलंबन का विकास करना चाहिए। शिक्षा वह साधन हो जिससे सामान्य व्यक्ति नारायणत्व को प्राप्त करे, और व्यक्ति समाज के लिए उपयोगी बन सके। उन्होंने यह भी कहा कि ग्राम्य परिवेश से आने वाली बेटियों में अपार सामर्थ्य होता है, आवश्यकता है उन्हें अवसर, दिशा और मार्गदर्शन देने की। उन्होंने बाड़मेर की रूमा देवी के संघर्ष और सफलता को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत करते हुए छात्राओं से कहा कि यदि इच्छाशक्ति और लगन हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।
कार्यक्रम अध्यक्ष रामअवतार अग्रवाल ने सिलाई जैसे पारंपरिक कौशल को आधुनिक संदर्भ में रोजगारपरक बताते हुए कहा कि यह कौशल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए कहा कि यह नीति अकादमिक शिक्षा के साथ व्यावसायिक एवं कौशल शिक्षा को समान महत्व देती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा और प्रशिक्षण देना समय की मांग है। इस योजना के माध्यम से छात्राएं न केवल हुनरमंद बनेंगी, बल्कि स्वरोजगार के अवसर भी सृजित होंगे, जिससे समग्र विकास संभव होगा।
इनकी रही मौजूदगी
इस अवसर पर अथिति शिक्षा विभाग के सेवा निवृत उपनिदेशक दीपक जौहरी सहित भामाशाह डॉ. वी. के. जैन, डॉ. किरण माला जैन, डॉ. महावीर बोहरा , डॉ. बनवारी लाल शर्मा, पूर्व प्राचार्य डॉ. एस. आर. डागा, प्रो. सत्यदेव सिंह, डॉ. एम. सी. जैन, डॉ. अल्का पारीक, डॉ. करुणा शोभावत एवं समाजसेवी रामअवतार अग्रवाल का सम्मान किया गया।कार्यक्रम का संचालन डॉ. जितेन्द्र सिंह बीका ने प्रभावशाली रूप से किया एवं धन्यवाद ज्ञापन सुनीता शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम में कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. सी. पी. पोखरना, डॉ. सुरेन्द्र कुमार शोभावत, प्रो. गीता शर्मा, प्रो. अनुराग शर्मा सहित महाविद्यालय के सभी संकाय सदस्य एवं बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं। कार्यक्रम ने नारी सशक्तिकरण एवं कौशल विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया।