शमशान घाट की बदहाली: जहां जीवन की अंतिम यात्रा भी बन जाए पीड़ा

- शमशान घाट की दुर्दशा बनी आमजन की असहनीय पीड़ा, स्थानीय प्रशासन मौन
बघेरा 03 जुलाई(केकड़ी पत्रिका ललित नामा) /केकड़ी पंचायत समिति की बड़ी ग्राम पंचायत बघेरा, जो अपनी ऐतिहासिकता और पौराणिक महत्व के लिए जानी जाती है, आज बुनियादी सुविधाओं के अभाव में कराह रही है। बारिश के मौसम में हालात और भी बदतर हो जाते हैं।
लेकिन इन सब समस्याओं से भी बड़ी चिंता का विषय है — बघेरा का शमशान घाट, जहां इंसान की अंतिम यात्रा भी तकलीफदेह बन जाती है। शमशान घाट पर ना तो शोक संतप्त परिजनों के बैठने की कोई सुविधा है और ना ही बारिश व धूप से बचने के लिए कोई छाया व्यवस्था।


मौजूदा समय में वहां लगे टीन शेड पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं, जिनका किसी भी वक्त गिरना एक बड़ा हादसा बन सकता है। बरसात के मौसम में गीली और दलदली ज़मीन पर अंतिम संस्कार करना एक बेहद कठिन और असंवेदनशील अनुभव बन जाता है। पीड़ित परिवारों को अंत्येष्टि के समय भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ग्रामीणों का कहना है कि वे कई बार इस समस्या को लेकर प्रशासन का ध्यान आकर्षित कर चुके हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग खुलकर अपनी पीड़ा साझा करते हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।
अब सवाल यह उठता है कि जब अंतिम संस्कार जैसी आवश्यक और संवेदनशील प्रक्रिया भी गांव में संकट बन जाए, तो इससे बड़ी उपेक्षा और क्या हो सकती है?
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से ग्रामीणों की मांग है कि शमशान घाट पर शीघ्र उचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि कम से कम जीवन की अंतिम यात्रा तो सम्मानपूर्वक पूरी हो सके।