स्वाद के नाम पर सेहत से खिलवाड़,फास्ट फूड बना बीमारियों का अड्डा,न तो साफ सफाई और नहीं मानकों की परवाह और नहीं कोई मॉनिटरिंग

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केकड़ी 27 जून (केकड़ी पत्रिका) एक ओर सरकार और स्वास्थ्य विभाग लोगों को संतुलित और स्वच्छ आहार अपनाने के लिए लगातार जागरूक कर रहे हैं, वहीं केकड़ी नगर में स्वाद के नाम पर खुलेआम सेहत से खिलवाड़ हो रहा है। कचोरी, समोसा, चाट पकौड़ी जैसे फास्ट फूड अब हर गली-नुक्कड़ यहां तक कि दुकानों पर बिकते नजर आते हैं, परंतु इनकी गुणवत्ता और साफ-सफाई पर कोई नियंत्रण नहीं।
मानकों की नहीं किसी को परवाह
ज्यादातर ठेलेवाले और दुकानें वाले विक्रेता न तो दस्ताने पहनते हैं, न ही हाथ धोने की कोई व्यवस्था होती है। एक ही हाथ से पैसे का लेन-देन और उसी हाथ से खाना परोसना आम बात है। न खाने को ढका जाता है, न मक्खियों और धूल से बचाव की कोई व्यवस्था की जाती है। जब इन्हीं हाथों से दिन भर धूल-मिट्टी और कीटाणुओं से सना खाना हमारे शरीर में पहुंचता है, तो बीमारियाँ होना स्वाभाविक है। शहर में कुछ जगह तो ऐसी है जहां रोड के बिल्कुल बगल में कचोरी समोसा चाट पकौड़ी रही होती है और दिन भर इनके बगल से हल्के भरी वाहन निकलते है जिनसे धूल मिट्टी उड़ती है….

बीमारियों का बनता है कारण
जानकारों की माने तो ऐसे फास्ट फूड से पेट की बीमारियाँ, फूड पॉइजनिंग, दस्त, उल्टी, टाइफॉइड और त्वचा रोग जैसी गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं। दुर्भाग्य से यह सब कुछ हमारी आंखों के सामने हो रहा है, लेकिन जागरूकता की कमी और विभागीय उदासीनता के चलते स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। केकड़ी के बाजारों की बात छोड़िए बस स्टैंड जहां धूल मिट्टी धुआं और यात्रियों का आवागमन है उसकी हालत तो और भी खराब है।
खुले हाथ,खुला संक्रमण:खाने और पैसों का एक ही हाथ बना खतरा
यह भी सत्य है कि नोट और सिक्के सैकड़ों हाथों से गुजरते हैं और इन पर बैक्टीरिया व वायरस की भरमार होती है। जब वही हाथ बिना किसी सफाई के खाना छूते हैं, तो संक्रमण सीधे भोजन के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है।
फिलहाल इस पर कोई निगरानी नहीं है। नगर परिषद और खाद्य सुरक्षा विभाग को चाहिए कि जल्द ही सख्ती बरतें और फास्ट फूड विक्रेताओं को दस्ताने व उचित हाइजीन अपनाने के निर्देश दें —ताकि स्वाद के साथ-साथ सेहत भी सुरक्षित रह सके।
विभाग की मॉनिटरिंग का अभाव
ऐसी खबरें सामने आने पर नगर परिषद और संबंधित विभाग कभी-कभार हरकत में तो आते हैं। कुछ समय तक जांच होती है, पर कुछ दिनों बाद फिर वही ‘ढाक के तीन पात’ वाली स्थिति लौट आती है। न ठेले हटते हैं, न सफाई सुधरती है, और खुले आम लोगों को बीमारियां परोसी जा रही है पर इनका न ही कोई स्थायी समाधान सामने आता है।

क्या होना चाहिए?
स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिहाज से यह आवश्यक हो गया है कि—
- फास्ट फूड,कचोरी,समोसा, चाट पकौड़ी विक्रेताओं को अनिवार्य रूप से दस्ताने और हेडकवर पहनने का निर्देश दिया जाए।
- हाथ धोने और सैनिटाइजेशन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
- खाद्य सामग्री को ढककर रखना और उसे साफ बर्तनों में परोसना अनिवार्य किया जाए।
- खुले में खाना बेचने वालों के लिए स्वास्थ्य प्रमाण पत्र अनिवार्य किया जाए।
- पैसों के लेन-देन और खाद्य परोसने का कार्य अलग-अलग हाथों से किया जाए।
- कचोरी समोसा चाट पकौड़ी वाले के वहां झूठे दोने का निस्तारण सही तरीके से और सही जगह हो की व्यवस्था की जावे।
जागरूकता भी है जरूरी
जनता को भी चाहिए कि वे ऐसे स्थानों से भोजन खरीदने से पहले वहां की स्वच्छता पर ध्यान दें। ऐसे लोगों तो टोके उनको समझाए स्वाद के चक्कर में सेहत का सौदा करना किसी भी सूरत में समझदारी नहीं।अब ज़रूरत है एक स्थायी व्यवस्था की — ताकि ये अस्थायी कार्रवाइयाँ केवल दिखावे तक सीमित न रह जाएं, बल्कि शहर को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।