शिक्षकों को रखने दें छड़ी, अनुशासन के लिए बेहद जरूरी’,केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

शिक्षकों को प्रोटेक्ट करना सरकार की जिम्मेदारी-डॉ.मनोज आहूजा
भजन लाल सरकार को जारी करनी चाहिए गाइडलाइन-डॉ.मनोज आहूजा
तिरुवनंतपुरम /केकड़ी 12 जून (केकड़ी पत्रिका/डॉ.मनोज आहूजा ) केरल उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि किसी शिक्षक के खिलाफ स्कूल में की गई किसी कार्रवाई के लिए केस दर्ज करने से पहले जांच होनी चाहिए।कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों के पास छड़ी रखने की अनुमति होनी चाहिए।कोर्ट ने कहा कि इसका उपयोग हमेशा नहीं किया जाना चाहिए।कोर्ट ने कहा कि बिना किसी ठोस कारण के केस नहीं होना चाहिए।केरल हाई कोर्ट ने कहा कि किसी शिक्षक के खिलाफ स्कूल में की गई किसी कार्रवाई के लिए केस दर्ज करने से पहले जांच होनी चाहिए।
केरल उच्च न्यायालय के जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने आदेश देते हुए कहा कि टीचर को बिना दुर्भावानापूर्ण इरादे के दी गई मामूली सजा के लिए आपराधिक केस से बचाया जाना चाहिए।इसके साथ ही केरल हाई कोर्ट ने केरल के डीजीपी को सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया है।

आदेश में कहा गया कि इसको एक महीने में लागू किया जाए।मामला दर्ज करने से पहले जांच होनी चाहिए-हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर कोई शिक्षक किसी छात्र को हल्की चुटकी काटता है,या धक्का मारता है और इसके पीछे कोई दुर्भावना नहीं थी,तो यह कोई आपराधिक केस नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने बताया कि अगर शिक्षकों के खिलाफ ऐसा होता रहा तो वे,अपनी जिम्मेदारी को नहीं निभा पाएंगे।कोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षकों के पास छड़ी रखे की अनुमति होनी चाहिए।कोर्ट ने कहा कि इसका उपयोग हमेशा नहीं किया जाना चाहिए।हालांकि,शिक्षक के पास छड़ी होना स्कूल में अनुशासन बनाए रखने के लिए पर्याप्त है।उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि कोई छात्र या अभिभावक शिक्षक के खिलाफ शिकायत करता है तो उसकी पहले जांच की जानी चाहिए।कोई केस दर्ज करे से पहले ठोस आधार का होना आवश्यक है।
मामले के तथ्यों के अनुसार-दरअसल,एक शिक्षक ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। शिक्षक पर आरोप था कि उसने छात्र को पीटा है।शिक्षक ने अपनी दलील में कहा कि वह छात्र को केवल पढ़ाई के प्रति गंभीर बानाना चाहता था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि माता-पिता बच्चों का स्कूल में दाखिला कराते हैं,तो शिक्षकों को अनुशासन के लिए जरूरी कदम उठाने की स्वतंत्रता देते हैं।
कोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 173 (3) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि ऐसे अपराध जिसमें सजा 3 साल से अधिक लेकिन 7 साल से कम है,उनमें पुलिस प्रारंभिक जांच कर सकती है।कोर्ट ने कहा,शिक्षकों के मामले में यही प्रावधान लागू होना चाहिए।
बार एसोसिएशन केकड़ी के अध्यक्ष डॉ. मनोज आहूजा ने इस महत्त्वपूर्ण फैसले का स्वागत करते हुए इसे शिक्षक समुदाय के हित में महत्त्वपूर्ण फैसला माना है और उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को पत्र लिखकर उक्त निर्णय की रौशनी में जारी की गई गाइड लाईनस को राजस्थान के शिक्षकों के प्रोटेक्शन हेतु जारी करने की मांग की है।ताकि शिक्षक अपना कार्य सुचारु रूप से कर सकें और उन्हें झूठे मुकदमों में ट्रायल फेस नहीं करनी पड़े।
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