गोरधा मे पकने लगे जंगली खजूर बिसुदनी बांध के नीचे वाला इलाका मीठे स्वाद से महका

कुशायता, 10 जून केकड़ी (पत्रिका हंसराज खारोल) निकटवर्ती ग्राम पंचायत गोरधा क्षेत्र को पहचान अब केवल बिसुदनी बांध में तरबूज ओर शांत वातावरण तक सिमित नहीं रहीं हैंबल्कि गर्मी की शुरुआत के साथ यहाँ की प्रकृति एक ओर तोहफा दे रही है जंगली खजूर|बिसुदनी बांध के नीचे का पुरा इलाका इन दिनों खजूर के पेड़ों से लदा हुआ है और जगह जगह पके हुए खजूरो की मिठास हवा में घुल गया गोर की बात है कि यहाँ के किसान लोग इस फल का व्यापार नहीं करते हैं|यह पुरी तरह जंगली खजूर है और केवल घरेलु उपयोग व खुद के खाने लिए ही तोडा जाता है| गाँव के लोग इसे पीढियों से खाते आ रहे है न कोई लागत न खाद पानी फिर भी हर साल प्रकृति खुद इसका मिठा इंतजाम कर देती है।
गर्मी में खजूर खाना क्यों फायदेमंद है
यह शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है| पाचन को ठीक करता है|ओर कब्ज राहत दिलाता है। खून की कमी(एनिमिया) में बहद उपयोगी है| हड्डियों को मजबूत करता है दिल की सेहद के लिए अच्छा है| रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाता है| गर्भवती महिलाओं के लिए भी लाभकारी है| मिठाई का प्राकृतिक ओर सुरक्षित विकल्प है|
स्थानीय लोग बताते हैं,
ग्राम पंचायत गोरधा मुख्यालय के सरपंच पपिता देवी मीणा, पूर्व सरपंच गंगा राम मीना पूर्व वार्ड पंच गंगाराम मीना श्याम सुंदर जैन सियाराम वैष्णव हे गोपाल मीना वार्ड पंच संजू देवी सेन, भवानी राम मीणा, हिरा लाल मीना ओम प्रकाश मीना रवी वैष्णव राम किशन मीना मदन शर्मा मिश्री लाल मीना रमेश सेन ओम प्रकाश मीना शिवराज मीना प्रभु लाल मीना ने बताया कि बचपन से देखते आए हैं कि गर्मी शुरू होते ही ये अपने आप खजूर के पे डो पर पक जाते हैं| स्वाद भी बढ़िया होता है और शरीर को भी ताकत मिलती है|हम तो हमारे लिए रखते हैं| बाजार में नहीं बेचते हैं| गौर करने वाली बात है यह भी है कि जैसे जैसे आधुनिकता बढ रही है• वेसे वैसे ही ऐसे जंगली देसी फल लोगो की नजरों से दूर होते जा रहे हैं| लेकिन गोरधा जैसे क्षेत्रों में प्रकृति और पंरपरा आज साथ साथ चल रही है|