गोरधा में पकने लगे जंगली खजूर, बांध के नीचे वाला इलाका मीठे स्वाद से महका

केकड़ी (अजमेर): 08 जून केकड़ी पत्रिका) गोरधा क्षेत्र की पहचान अब केवल बांध,तरबुज, खुरबुज और शांत वातावरण, तक सीमित नहीं रही, बल्कि गर्मी की शुरुआत के साथ यहां की प्रकृति एक और तोहफा दे रही है—जंगली खजूर।
इस इलाके में भरपूर मात्रा
गोरधा बांध के नीचे का पूरा इलाका इन दिनों खजूर के पेड़ों से लदा हुआ है और जगह-जगह पके हुए खजूरों की मिठास हवा में घुल गई है।गौर करने वाली बात यह है कि यहां के किसान इस फल का कोई व्यापार नहीं करते। यह पूरी तरह जंगली है और केवल घरेलू उपयोग व खुद के खाने के लिए ही तोड़ा जाता है।गांव के लोग इसे पीढ़ियों से खाते आए हैं। न कोई लागत, न खाद-पानी, फिर भी हर साल प्रकृति खुद इसका मीठा इंतजाम कर देती है।
गर्मी में खजूर खाना क्यों है फायदेमंद ?
यह शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है पाचन ठीक रखता है और कब्ज से राहत दिलाता है खून की कमी (एनीमिया) में बेहद उपयोगी हड्डियों को मजबूती देता है दिल की सेहत के लिए अच्छा होता है रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है गर्भवती महिलाओं के लिए भी लाभकारी मिठाई का प्राकृतिक और सुरक्षित विकल्प स्थानीय निवासी बताते हैं:“बचपन से देखते आए हैं कि गर्मी शुरू होते ही ये खजूर अपने आप पेड़ों पर पक जाते हैं। स्वाद भी बढ़िया होता है और शरीर को ताकत भी मिलती है। हम तो अपने लिए ही रखते हैं, बाजार में नहीं बेचते।”गौर करने वाली बात यह भी है कि जैसे-जैसे आधुनिकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे ऐसे जंगली, देसी फल लोगों की नज़रों से दूर होते जा रहे हैं। लेकिन गोरधा जैसे क्षेत्रों में प्रकृति और परंपरा आज भी साथ-साथ चल रही है। *दिलखुश मोटिस कि रिपोर्ट*