गजल: प्यार की मोहर/ “सिर्फ उसने यह भेजा है”
दिल पर प्यार की मोहर लगाकर भेजा हैं,
पहली दफा उसे कलेजे से लगाकर भेजा हैं !
हम गांव में देर तक दोस्तो में बैठा करते थे ,
हमको भी मजबूर हालातों ने बाहर भेजा हैं!
सारी रात जागकर उस पर नज़्म लिखी है ,
बस उसने सिर्फ अच्छा लिखकर भेजा हैं!
किस तरह होगा फकीरों का गुजारा सोचे,
उसको छोटा सा मशवरा लिखकर भेजा हैं!
मुझे उसकी खूबी बदस्तूर आज भी याद हैं ,
उस फरेबी ने बातों में उलझाकर भेजा हैं ।
रचनाकार : गोविन्द नारायण शर्मा