केंद्रीय शिक्षा मंत्री से शैक्षिक महासंघ के प्रतिनिधिमंडल की भेंट,विद्यालय एवं उच्च शिक्षा की समस्याओं के समाधान की मांग

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जयपुर/ केकड़ी 02 मई (केकड़ी पत्रिका) अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के प्रदेश महामंत्री प्रो. रिछपाल सिंह नें बताया कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान से नई दिल्ली में भेंट की।

विभिन्न समस्याओं के लिए दिया भिन्न ज्ञापन

तिनिधिमंडल ने इस दौरान विद्यालय शिक्षा, उच्च शिक्षा तथा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों से संबंधित समस्याओं पर मंत्री महोदय के समक्ष विस्तार से चर्चा की और तीन पृथक-पृथक ज्ञापनों के माध्यम से उनके शीघ्र समाधान की मांग की।विद्यालयी शिक्षा से जुड़े ज्ञापन में महासंघ ने देशभर में लाखों रिक्त पदों पर शिक्षकों एवं संस्था प्रमुखों की नियमित नियुक्ति की आवश्यकता को रेखांकित किया। साथ ही शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखते हुए मिड-डे मील जैसे कार्यों को स्वतंत्र एजेंसियों को सौंपने की मांग रखी गई। ज्ञापन में पुरानी पेंशन योजना की बहाली, देश भर में समान वेतनमान और सेवा शर्तें लागू करने, कैशलेस चिकित्सा सुविधा, सेवा निवृत्ति की आयु 65 वर्ष करने, समयबद्ध पदोन्नति सुनिश्चित करने, प्राथमिक शिक्षकों को विधान परिषद में मताधिकार देने तथा शिक्षा के व्यापारीकरण पर अंकुश लगाने जैसे महत्वपूर्ण बिंदु भी सम्मिलित थे।

यह भी रही इनकी मांग

उच्च शिक्षा के संदर्भ में महासंघ ने हाल ही में यूजीसी द्वारा जारी उस परिपत्र को वापस लेने की मांग की, जिसमें एम.फिल./पीएच.डी. की वेतन वृद्धियों को समाप्त करने का निर्देश दिया गया है। प्रतिनिधिमंडल ने यह भी रेखांकित किया कि देश के अनेक उच्च शिक्षण संस्थान आधारभूत सुविधाओं की भारी कमी से जूझ रहे हैं, जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन बाधित हो रहा है। 2025 के ड्राफ्ट रेगुलेशन की गम्भीर विसंगतियों पर महासंघ द्वारा दिए गए पूर्व में दिये ज्ञापन पर कार्रवाई की मांग वार्ता में की गई । ज्ञापन में फेकल्टी डेवलेपमेंट प्रोग्राम की बहाली, सेवारत शिक्षकों को पीएच.डी. में प्राथमिकता, अंडर ग्रेजुएट महाविद्यालयों को रिसर्च सेंटर की मान्यता, और कॉमन यूनिवर्सिटी एक्ट जैसे मसलों पर केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की गई।प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को भी सी एस आर फंडिंग के लिए आई आई टी की भांति पात्र घोषित किया जाए ताकि नवाचार, शोध और परियोजना विकास को बल मिल सके। साथ ही, सेवानिवृत्त शिक्षकों को सीजीएचएस के तहत चिकित्सा सुविधा देने और पहले से स्वीकृत लेकिन लंबित करियर एड्वांसमेण्ट योजना को लागू करने की मांग की गई।शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने तीनों ज्ञापनों की विषयवस्तु को गंभीरतापूर्वक सुना और प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि प्रस्तुत की गई समस्याओं और सुझावों पर संबंधित अधिकारियों को त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए जाएंगे।

प्रतिनिधिमंडल में थे शामिल

प्रतिनिधि मंडल में महासंघ के अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता, महामंत्री प्रो. गीता भट्ट, संगठन मंत्री श्री महेन्द्र कपूर, सह संगठन मंत्री श्री जी. लक्ष्मण, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री महेन्द्र कुमार, विद्यालय शिक्षा प्रभारी श्री शिवानंद सिंदनकेरा, एन आई टी कार्य प्रमुख प्रो. एम. के. श्रीमाली, अतिरिक्त महामंत्री श्री अरविंदो महतो एवं श्री मोहन पुरोहित शामिल थे।

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