काव्य/गजल/शायरी: याद बहुत आती

Oplus_131072
तेरी यादों को अब दिल मे छुपा नही सकता,
तेरी भीगी अंगिया बहुत याद आती बरसात में!
तेरे गोरे सूर्ख रतनार कपोल चुम्बन रसपान ,
याद बहुत आती तेरे चेहरे की मन्द मुस्कान !
बारिश में भींगी टपकती तेरी जुल्फों की बूंदे
हलक तर कर लेता आलिंगन में आंखे मूंदे !
मेरा बस चले तो तेरी यादों को भूल जाता ,
पर टूटे इस दिल को मैं समझा नही सकता!
हवाएं फरेबी हो गयी शोले भड़काने लगी,
बन बसन्त तेरी यादों को बहुत कुरेदने लगी!
भिगी फुंहरो में अंगिया चिपकी गोरे बन्दन,
जुल्फों से टपकती बूंदे मानो गिरती शबनम!
तुम नहीँ आते हमे सोने नही देता ये मौसम,
सजन तुझबिन तेरी यादें सारी रात तड़पाती!
सुनी थी सिर्फ हमने गज़लों मे जुदाई की बात,
हरवक्त मुझे याद बहुत आयी प्रणय मिलन रात!
हर याद पर जिगर का दर्द तरोताजा हुआ,
अब खुद पे बीती तो हकीकत का अंदाजा हुआ!
जादू भरा सा नशा है तेरे हर एक अल्फाज़ में,
बालं याद घणी सतावे तेरी दिन और रात में!
कल जब देखा था मैने सपना मझली रात में,
तब भी तेरी ही मखमली यादें थी मेरे साथ में !
रचनाकार: गोविंद नारायण शर्मा