ग्राम कुशायता मुख्यालय पर तीन दिवसीय फार्मर रजिस्ट्री शिविर 10 मार्च से,

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कुशायता, 07 मार्च (केकड़ी पत्रिका/हंसराज खारोल) ग्राम पंचायत कुशायता मुख्यालय पर मेें 10 मार्च से तीन दिवसीय सोमवार 10 फरवरी से फार्मर रजिस्ट्री अभियान के तहत शिविर का आयोजन किया जाएगा।
सावर उपखण्ड अधिकारी प्रशिक्षु आर ए एस श्रध्दा सिह ,सावर विकास अधिकारी चिरंजीं लाल वर्मा, सावर तहसील दार भगवती प्रसाद वैष्णव ने बताया कि फार्मर रजिस्ट्री कृषि एवं सम्बन्धित विभागों के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (एग्रीस्टैक) उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पूरे देश में किसानों के लिए व्यापक और एकीकृत रजिस्ट्री बनाने का कार्य हैं। यह रजिस्ट्री किसानों के लिए चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं एवं उनका लाभ सही लाभार्थियों तक कुशलता एवं शीघ्रता से पहुंच सके को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उन्होंने बताया कि कृषि विभाग भारत सरकार द्वारा संचालित एग्रीस्टैक योजना के अन्तर्गत राज्य में फार्मर रजिस्ट्री तैयार की जानी हैं। मुख्यमंत्री द्वारा राजस्थान में एग्रीस्टैक योजना के अन्तर्गत फार्मर रजिस्ट्री का शुभारम्भ 13 दिसम्बर 2024 को सीकर जिले से किया गया है। वर्तमान में राज्य के सीकर जिले में पायलट स्तर पर फार्मर रजिस्ट्री का कार्य शिविर के माध्यम से सफलतापूर्वक किया जा रहा है। अब राज्य सरकार द्वारा सम्पूर्ण राज्य में फार्मर रजिस्ट्री का कार्य एक अभियान के तहत ग्राम पंचायत सतर पर शिविरों के माध्यम से करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने बताया कि भविष्य में पीएम किसान सम्मान निधि, कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए फार्मर रजिस्ट्री के माध्यम से प्राप्त फार्मर आईडी आवश्यक होगी। राज्य सरकार की कृषकों के चंहुमुखी विकास की मंशा के अनुरूप जिले में शतप्रतिशत फार्मर रजिस्ट्री तैयार करने के लिए जिला स्तर के कार्य योजना बनाकर क्रियान्वित की जाएगी।
उन्होंने बताया कि कृषकों को प्राप्त होने वाली सेवाओं का लाभ कृषक डिजिटली प्राप्त कर सके तथा कृषि कार्य में होने वाले लाभ में वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा एग्रीस्टैक- डिजिटल एग्रीकल्चर परियोजना संचालित की जा रही है। एग्रीस्टैक परियोजना का उद्देश्य किसानों के लिए सस्ता ऋण, उच्च गुणवत्ता वाले कृषि आदान, स्थानीयकृत और विशिष्ट लक्षित सलाह और बाजारों तक पहुंच को आसान बनाना है। साथ ही सरकार के विभिन्न हितधारकों द्वारा किसान और कृषि केंद्रित विभिन्न लाभदायी योजनाओं को लागू करना और किसानों को आसानी से उपलब्ध कराना हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के समस्त राजस्व ग्राम से संबंधित खसरा मानचित्र को रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर से प्राप्त हाई-रिजोल्यूशन सेटेलाइट मैप के साथ मैपिंग कराकर प्रदेश के समस्त राजस्व ग्राम मानचित्र के रूप में डिजिटाइज किया गया है। प्रदेश में भू-अभिलेख के अनुसार भू-संदर्भित राजस्व ग्राम मानचित्र (जिओ रेफरैन्स विलेज मैप) के डिजिटाइजेशन एवं अंश निर्धारण का कार्य राजस्व मण्डल द्वारा कराया गया है।
उन्होंने बताया कि डिजिटल क्रॉप सर्वे के अंतर्गत प्रदेश के सभी खेतों में बोई गई फसलों का खरीफ, रबी एवं जायद में राज्य सरकार द्वारा विकसित मोबाइल ऐप के माध्यम से फसल सर्वेक्षण एवं ई गिरदावरी को प्रदेश के समस्त जिओ रेफरेंस नक्शे वाले राजस्व ग्रामों में संपन्न कराया गया है। इससे एग्रीस्टैक की फसल बुवाई पंजीकरण के अंतर्गत जीआईएस बेस्ड रियल टाइम क्रॉप सर्वे का डाटा प्राप्त हो रहा है। यह प्रक्रिया सम्पूर्ण प्रदेश में अपनायी जायेगी। इसकी डिजिटल प्रति किसान स्वयं के स्तर से प्राप्त कर सकेंगे। किसान को स्वयं भी गिरदावरी कर पाने की सुविधा भी उपलब्ध करवायी जा रही है।
उन्होंने बताया कि अभिलेखों के डायनेमिक लिंकिंग के साथ किसानों का डेटाबेस (फार्मर रजिस्ट्री) के अंतर्गत प्रदेश के कृषक विवरण को एग्रीस्टैक के अंतर्गत तैयार कर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में संकलित किया जाएगा। एग्रीस्टैक में किसानों को किसान पहचान पत्रा प्रदान किया जाएगा। यह किसानों की 11 डिजिट की एक अलग पहचान होगी। फार्मर आईडी से किसान के समस्त कृषि भूखंड मय हिस्सा जुड़े होंगे एवं इसे किसान के आधार से लिंक किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि रजिस्ट्रीज कृषि क्षेत्रा में डेटा की सटीकता, पारदर्शिता और समयबद्धता को सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन की गई है। इन तीनों रजिस्ट्रीज की स्थापना से राज्य सरकार को किसानों, उनकी कृषि भूमि, फसल उत्पादन और संबंधित गतिविधियों पर रीयल-टाइम डेटा उपलब्ध होगा। यह बेहतर नीति निर्माण और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में सहायक होगा। साथ ही यह रजिस्ट्रीज कृषकों के लिए भी विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ की उपलब्धता को आसान बनाएगी। प्रत्येक किसान का नाम, पिता का नाम, स्वामित्व वाले समस्त खसरा संख्या, सह खातेदार होने की स्थिति में खसरे में किसान का हिस्सा, मोबाइल नंबर, आधार संख्या, ई- केवाईसी विवरण फार्मर रजिस्ट्री में दर्ज होगा। किसी प्रकार के स्वामित्व हस्तांतरण (विरासत, बेचान, इत्यादि) होने पर फार्मर रजिस्ट्री स्वतः ही अद्यतन हो जाएगी, इसका प्रावधान भी किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि फार्मर रजिस्ट्री से किसानो का कई लाभ होंगे। पीएम किसान योजना के अंतर्गत किस्त प्राप्त करने हेतु अनिवार्यता की शर्त को पूर्ण कर वर्तमान में पीएम किसान योजना के लाभार्थी को इस योजना का लाभ लगातार प्राप्त करने में सुगमता होगी। पीएम किसान योजना के संतृप्तिकरण करने में सहायता मिलेगी। कृषकों को फसली ऋण हेतु किसान क्रेडिट कार्ड एवं एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड एवं कृषि के विकास हेतु अन्य ऋण प्राप्त करने में सुगमता होगी। फसल बीमा का लाभ प्राप्त करने सुगमता होगी। इसके साथ साथ आपदा प्रबंधन के अंतर्गत सरकार को क्षतिपूर्ति हेतु कृषकों के चिन्हांकन में सुगमता होगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद में कृषकों का ऑटो पंजीकरण ऑनलाईन माध्यम से हो सकेगा। कृषकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ प्राप्त करने में कृषि एवं सम्बद्ध विभागों को फार्मर रजिस्ट्री के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर योजनाओं का लाभ वितरण करने में सुगमता होगी और लाभार्थी के बार-बार सत्यापन आवश्यक नहीं होगा। कृषकों को समय से वांछित परामर्श, विभिन्न संस्थाओं द्वारा कृषकों से सम्पर्क के अवसर में वृद्धि के साथ साथ नवोन्मेषी कार्यक्रमों के विस्तार में सफलता प्राप्त होगी।
उन्होंने बताया कि पंचायत स्तर पर आयोजित होने वाले शिविरों में कृषक अपने आधार कार्ड तथा भूमि सम्बन्धित दस्तावेजों की नकल के साथ पहुंच सकते है। उन्हें साथ में आधार से जुड़ा मोबाईल भी लाना होगा। इस पर प्राप्त ओटीपी के माध्यम से एग्रीस्टैक की प्रक्रिया को अपडेट किया जाएगा। शिविर में किसानों से सम्बन्धित अन्य सेवाओं को भी उपलब्ध करवाया जाएगा।