15 March 2025

भूतपूर्व सैनिक ने सामाजिक सरोकार की मांग को लेकर सांसद महोदय को लिखा पत्र

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सावर 28 फरवरी(केकड़ी पत्रिका) सावर तहसील के अंतर्गत आने वाले ओर निकटवर्ती ग्राम सदारी निवासी और भूतपूर्व सैनिक जगदीश प्रसाद खाती सदारी ग्राम के विकास, शिक्षा ,आवागमन एवं किसानों की मांगों को लेकर काफी लंबे समय से प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि वो एक सैनिक रहे है और देश सेवा, ग्राम सेवा, मानव सेवा के लेकर काफी अनुशासित और संजीदा है उन्होंने बताया कि गांव में शिक्षा के स्तर,किसानों के लिए आवागमन की सुविधा जैसे सामाजिक सरोकार के मुद्दे को लेकर वह काफी समय से प्रयासरत है।

उन्होंने बताया कि इस संबंध में उन्होंने ,जिला कलेक्टर, क्षेत्रीय विधायक, उपखंड अधिकारी को पत्र लिखकर भी इस प्रकार की मांग की है लेकिन अभी तक उस पर कोई सार्थक कार्रवाई की प्रतीक्षा में है ।

हाल ही में जगदीश प्रसाद खाती ने अजमेर सांसद श्री भागीरथ चौधरी को डिजिटल माध्यम से पत्र लिखकर ग्राम विकास और अपने मांगों को लेकर एक पत्र लिखा है।

उन्होंने बताया कि सदारी ग्राम के सीनियर सैंकडंरी स्कूल जो मात्र करीब 625 वर्गमीटर जगह में संचालित हैं और शाला के मध्य गांव का आम रास्ता भी निकालता कहा दिनभर लोगों की आवाजाही लगी रहती हैं जिस कारण दिनभर व्यवधान रहता है जो कि बच्चों की शिक्षा पर कुठाराघात है ज्ञात हो कि शाला परिसर में ही आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित है जहां पर पूरे दिन हैंडपंप पर लोग पानी बहने आते है उसके चलने ,शाला का देवस्थानों से घिरी हुई होना इत्यादि से काफी परेशानी का सबब है जो शिक्षा के नाम पर धोखा हैं उन्होंने मांग की है कि इस स्कूल को 250 मीटर दूर स्थित राप्राशा, सदारी के झोपड़ा में जो कि 2 हैक्टेयर जमीन मे कार्यरत हैं वहां पर स्थानान्तरित करवा दिया जाए तो जगह के अभाव और असुविधाओं से निजाद मिल सकती है।

उन्होंने बताया कि सदारी ग्राम पंचायत के सभी 4 गांव हर घर नल योजना से वंचित हैं जिससे काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है अगर इन गांवों को इस योजना से जोड़ दिया जावे तो जल समस्या से निजाद मिल सकती है।

उन्होंने मांग की है कि अन्नदाताओं के सुगम व खुशहाल जीवन के लिए गांव सदारी को, पंचायत मुख्यालय सदारी से मैहरूकंला-सावर सड़क स्थित खारी नदी पुलिया तक करीब 1800 मीटर लंबी सड़क मिल जाती हैं तो अन्नदाता पूरे वर्ष सावर कस्बे से जुड़ जायेंगे और उनकी आजीविका सहज हो जायेगी।(यह जगदीश प्रसाद खाती के निजी विचार है)

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