बिजासन माता का मंदिर बघेरा ‘बच्चों की देवी ‘के रूप में विशेष महत्व रखता है जहां पर छोटे छीटे पत्थरो से मकाननुमा आकृतियां बनाकर नये मकान बनाने की मन्नते की जाती है ।

0

केकड़ी 08 अक्टूबर (केकड़ी पत्रिका न्यूज) जिले का बघेरा कस्बा धर्म,अध्यात्म, पौराणिकता को अपने आप मे समेटे हुए कस्बा रहा है जिसका उल्लेख विभिन्न पौराणिक और धार्मिक ग्रंथो,इतिहासकारो के ग्रंथ के उल्लेखित है साथ ही प्राचीन मंदिर, इमारते, खंडर आदि के अवशेष आज भी अपनी कहानी खुद ब खुद बयां कर रहे है ।

कस्बे में स्थित अनेक धर्म और आध्यत्म से सम्बंधित अवशेष आज भी हर किसी का ध्यान सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते है लेकिन धर्म और आध्यत्म के केन्द्र रहे वो स्थल आज उचित देखभाल और सार संभाल के अभाव में अपना अस्तित्व खो चुके है या अपने अस्तित्व के लिये संघर्ष कर रहे है ।

  • बिजासन माता मंदिर बघेरा

ऐसी ही एक इमारत कस्बे में वराह सागर के उत्तर पश्चिम में प्राकृतिक जल कुंड व अस्थल नामक खंडित मंदिर के पास एक प्राचीन चबूतरे पर बिजासन माता का प्राचीन स्थल था जहां पर आज एक छोटे से कमरे नुमा मंदिर बना हुआ है। मंदिर भले ही छोटा हो लेकिन धर्म,आध्यात्मिक के दृष्टिकोण से आज भी इसका विशेष महत्व है । विशेषकर आसपास के ग्रामीण जन अपने बच्चों के स्वस्थ जीवन और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए इस मंदिर में बिजासन माता के मत्था टेकने विश्वास करते हैं इसलिए इसे ‘बच्चों वाली देवी मां ‘ के मंदिर के रूप में भी जाना जाता है ।

बच्चों के जन्म के पश्चात उन्हें एक बार बिजासन माता के मंदिर में धोक लगाकर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाने की एक परंपरा सी बन चुकी है । जहां पर नाथ संप्रदाय के लोग आज भी पुजारी के रूप में कार्य करते हैं और मंदिर की देखभाल करते हैं।

  • नवरात्र में विशेष महत्व

पहाड़ियों के पास और प्राचीन कुंड के किनारे स्थित होने के कारण यह आध्यात्मिक स्थल बड़ा ही मनोरम प्राकृतिक छटा को बिखेरता आध्यात्मिक और दर्शनीय स्थल रहा है नवरात्रा के समय यहां का माहौल एक मेले सा माहौल हो जाता है सैकड़ो की संख्या में भक्तगण अपना शीश झुकाने के लिए बिजासन माता के दर पर पहुंचते है । लेकिन सुविधाओ का अभाव और जीर्णोद्धार की जरूरत महसूस की जाती है।

  • एक पहल की आज है दरकार

इस प्राकृतिक रमणीय स्थल और धर्म और आध्यात्मिक महत्व वाले इस मंदिर के विकास की आज भी दरकार है । जैसे इस मंदिर के जीर्णोद्धार और यात्रियों की सुविधा के लिए आगंतुक भक्त जनों के सुख सुविधाओं के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति आज की प्राथमिक आवश्यकता ही बन चुकी है । कोई शुरुआत करें या ना करें लेकिन यह मेरा सोचना है की पीढ़ियों से बिजासन माता के मंदिर में पुजारी के रूप में काम कर रहे नाथ संप्रदाय के लोग अगर इस शुभ कार्य की पहल करें आम जन से सहयोग के लिए आमजन को साथ लेकर एक कमेटी गठित कर प्रयास किया जाए तो एक न एक दिन इसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए कारगर साबित हो सकता है।

आखिर बात गांव के विकास की है आखिर सवाल आस्था का जो है। आज का युवा अपने गांव के इतिहास, प्राकृतिक धरोहर और ऐतिहासिक धरोहर और विकास की संभावना को लेकर जागरूक हो रहा है साथ ही क्षेत्र में ग्रेनाइट के खनन को मिली गति ने भी संभावनाओ की उम्मीद को जगाया है ।

  • जहां नये मकान बनाने की मन्नते की जाती है ।

मंदिर परिसर में जगह जगह पर छोटे छोटे पत्थर के टुकड़ों से झोपड़ीनुमा आकृतियां बनी हुई है । बताया जाता है कि नए मकान की मनोकामना लेकर आने वाले भक्तों द्वारा इस प्रकार की आकृतियां बनाई जाती हैं ।जिससे उनकी नए मकान की मनोकामना शीघ्र पूरी होती है या मकान निर्माण में जो समस्याएं आ रही है वह शीघ्र दूर हो जाती है इसलिए आसपास के ग्रामीण अंचल और दूर दूर से माता रानी के अनुयायी, भक्त नए मकान की मनोकामना लेकर माता के दरबार में अपनी हाजिरी देते और इस प्रकार की मकाननुमा आकृतिया बनाते हैं। सच जो कोई भी हो पर बात तो आस्था की है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

You cannot copy content of this page