लोक अदालत की भावना होने लगी है फलीभूत पति पत्नी के मध्य 4 साल पुराने विवाद में राजीनामा के बाद पत्नी पति में हुई सुलह

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केकड़ी 24 सितंबर (केकड़ी पत्रिका न्यूज/डॉ मनोज आहुजा) केकड़ी,विधिक सेवा प्राधिकरण के आव्हान पर शनिवार 28 सितंबर को आयोजित होने वाली लोक अदालत में जहां ताल्लुका विधिक सेवा समिति से जुड़े न्यायिक अधिकारी,कर्मचारी व अधिवक्तागण राजीनामा के आधार पर प्रकरणों का निस्तारण करने के प्रयास में लगे हुए हैं वहीं सोशल मीडिया व प्रिंट मीडिया पर लगातार मिल रहे अपडेट्स के बाद पक्षकार भी अपने मामले का निस्तारण लोक अदालत के माध्यम से करने में रुचि लेने लगे हैं।

इसी क्रम में एडवोकेट मनोज आहूजा ने एडीजे जयमाला पानीगर को उनके न्यायालय में विचाराधीन मामले की जानकारी देते हुए उसे लोक अदालत में रेफर करने का निवेदन किया जिस पर न्यायाधीश पानीगर ने आहूजा द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए पक्षकारों को तलब कर सुनवाई की और उन्हें राजीनामा करने के लिए प्रेरित किया।

वहीं इस संबंध में सोमवार को पैनल लॉयर मनोज आहूजा ने बताया कि उनके पक्षकार हरीश कुमार ने अपनी पत्नी साक्षी के खिलाफ विवाह विच्छेद याचिका प्रस्तुत कर रखी थी। तथा उसकी पत्नी ने भी हरीश के खिलाफ मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना सहित भरण पोषण के खर्चे व घरेलु हिंसा अधिनियम का परिवाद पेश कर रखा था।जो सभी मामले विभिन्न न्यायालयों में वर्ष 2021 से लंबित थे।इसी दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता मनोज आहूजा ने प्रार्थी के पिता व रिश्तेदारों को राजीनामा करने की सलाह देते हुए समझाईश की गई।

जिस पर प्रार्थी के पिताजी हीरालाल व समाज के अध्यक्ष बलराज मेहरचंदानी ने साक्षी व उसके परिवार के सदस्यों से मिलकर राजीनामा करने की इच्छा जाहिर की।जिसके बाद पति पत्नि दोनों ने मुलाक़ात कर गलत फहमीयों को दूर किया।जिसके परिणाम स्वरुप सोमवार को प्रार्थी हरीश व उसके पिताजी तथा समाज के मुखी बलराज जी साक्षी को लेकर न्यायालय में उपस्थित हुए तथा साक्षी के अधिवक्ता गोविन्द सोनी व कुश वाघला भी उपस्थित हुए वहीं इस मौक़े पर अधिवक्ता मनोज आहूजा व एडवोकेट गोविन्द सोनी ने दोनों पक्षकारों के साथ कॉउंसलिंग करते हुए राजीनामा के आधार पर प्रकरण का निस्तारण करवाने सहित सौहार्दपूर्ण वातावरण से रहने के फायदे बताये

।न्यायालय में उपस्थित दोनों पक्षकारों व उनके रिश्तेदारों को न्यायाधीश जयमाला पानीगर ने भी समझाईश करते हुए कहा कि पारिवारिक मामलों में आपसी समझ व बड़े बुजुर्गों की सलाह महत्त्वपूर्ण होती है तथा इस प्रकार से निपटाए गए मामलों में दोनों पक्षकारों की जीत होती है।जिस पर न्यायाधीश व दोनों अधिवक्तागण सहित समाज बंधुओ की समझाईश पर दोनों पक्षों ने राजीनामा करते हुए पुराने विवादों का निस्तारण करवाते हुए नए सिरे से साथ रहने का निर्णय लिया तथा एक दूसरे को माला पहनाकर साथ रहने का निर्णय लिया।इस पर दोनों पक्षों के मध्य राजीनामा विलेख निष्पदित करवाया गया तथा न्यायालय में विचाराधीन मामलों को राष्ट्रीय लोक अदालत में रखते हुए निपटाने का निर्णय लिया गया।

इस प्रकार पति पत्नी के मध्य पिछले चार साल से लंबित विवाद का राजीनामा के आधार पर निस्तारण होने से लोक अदालत की सार्थकता सिद्ध हुई।

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