जयपुर व अजमेर सहित कई बड़े शहरों की जीवन रेखा माना जाने वाला प्रदेश का प्रमुख बांध बीसलपुर छलकने को तैयार
केकड़ी 26 अगस्त (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल/हंसराज खारोल) बीसलपुर बांध में पानी की आवक लगातार जारी है, जिससे बांध का जलस्तर अब बढ़कर 313.78 आरएल मीटर हो गया है। बांध की कुल भराव क्षमता 315 आरएल है। उधर बांध में पानी की आवक के मुख्य स्रोत त्रिवेणी पर पानी का प्रवाह लगातार बढ़ता जा रहा है, यहां इस समय पानी का गेज 4 मीटर हो गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि सोमवार रात तक बांध का जलस्तर 314 का आंकड़ा छू लेगा।
- बीसलपुर बांध सातवीं बार छलकने को तैयार
बीसलपुर बांध अब तक 6 बार ओवरफ्लो हो चुका है। पहली बार 2004 में बांध पूरी क्षमता से भर गया था। इसके बाद 2006, 2014, 2016, 2019 और 2022 में भी बांध ओवरफ्लो हुआ। सबसे ज्यादा 2019 में बांध के 18 गेटों को खोलकर पानी की निकासी की गई थी। बांध में पानी की मुख्य आवक का स्रोत प्रसिद्ध मेनाल झरना है, जिसका पानी गोवटा बांध में आता है। गोवटा बांध के ओवरफ्लो होने के बाद पानी मेनाली नदी में मिलकर त्रिवेणी तक पहुंचता है। त्रिवेणी में बनास, बेड़च एवं मेनाली नदी मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती है। यहीं पर प्राचीन महादेव मंदिर बना हुआ है, जो लोगों की आस्था का केंद्र है। त्रिवेणी नदी से आगे पानी बनास नदी के रूप में बहता है, जिसमें कोठारी नदी, ऊवली नदी, नगदी नदी सहित अन्य छोटी सहायक नदियां मिलती है। और बनास नदी का यह पानी बिसलपुर बांध तक पहुंचता है। इसीलिए बीसलपुर बांध में पानी की मुख्य आवक का उद्गम स्रोत त्रिवेणी को माना गया है।
- पर्यटन और धार्मिक महत्व
बीसलपुर बांध से जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, ब्यावर और केकड़ी जिलों की करीब एक करोड़ आबादी को जल आपूर्ति की जाती है। बीसलपुर बांध मानसून के समय में एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन जाता है। जब बांध के गेट खोले जाते हैं और पानी का प्रवाह तेज़ होता है, तो यह दृश्य देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। बांध के समीप स्थित गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। यह माना जाता है कि यहां रावण ने तपस्या की थी, जिससे इस मंदिर का विशेष महत्व है