तीनों लोकों में साम्राज्य देने वाली एकमात्र देवी है माता रानी त्रिपुरा सुंदरी, तुरंत फल को प्रधान करने वाली विश्व की एकमात्र देवी है माता रानी त्रिपुरा सुंदरी-निकुंज मोहन पांड्या

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तीनों लोकों में साम्राज्य देने वाली एकमात्र देवी है माता रानी त्रिपुरा सुंदरी,तुरंत फल को प्रधान करने वाली विश्व की एकमात्र देवी है माता रानी त्रिपुरा सुंदरी-निकुंज मोहन पांड्या।

मोक्ष को एकसाथ देने वाली माता भी सिर्फ त्रिपुरा सुंदरी ही है।

बांसवाड़ा 10 मार्च(केकड़ी पत्रिका न्यूज़ पोर्टल/डॉ.मनोज आहूजा) राजस्थान के दक्षिण भाग में स्थित बांसवाड़ा जिले से डूंगरपुर रोड़ पर करीब पंद्रह किलोमीटर दूर तलवाड़ा कस्बे से पांच किलोमीटर की दूरी पर उमराई ग्राम पंचायत में स्थित राज राजेश्वरी माँ त्रिपुरा सुंदरी देवी का भव्य मंदिर स्थित है।इस मंदिर में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया सहित समूचे देश के मंत्री,विधायक, जनप्रतिनिधि आते रहते हैं।इस मंदिर के इतिहास के बारे में हमें मंदिर के मुख्य पुरोहित गुरुवर निकुंज मोहन पंड्या ने जानकारी देते हुए बताया कि यह देवी राजाओं की देवी मानी जाती है।

भगवान इंद्र सहित राजाओं ने भी इन्हें पूजा ताकि राजराजेश्वरी की कृपा से साम्राज्य भी प्राप्त हो तथा प्रजा की भलाई करके मोक्ष भी प्राप्त कर सकें।इस मंदिर के इतिहास के बारे में उन्होंने बताया कि यह मंदिर ग्याहरवीं शताब्दी से पूर्व तथा कनिष्क काल से भी पूर्व का है।इसे तंत्र पीठ के रुप में जाना व पहचाना जाता है।उन्होंने बताया कि मुगलों के आक्रमण के बाद जो कालखंड निकला उसके बाद माता की मूर्ति यहां पर अखण्डनीय मौजूद मिली।जिसकी पूजा उस समय लौहार समाज के भक्त लोग करते थे।कालांतर में यहां की व्यवस्था लौहार समाज के भक्त ही करने लगे और वर्तमान में भी पांचाल समाज के ट्रस्ट द्वारा इस मंदिर का प्रबंधन किया जाता है।इस देवी माँ के स्वरूप के बारे में उन्होंने बताया कि माता की अठारह भुजाएं हैं।

इस देवी को तीनों लोकों की देवी के साथ साथ देवी के तीनों रूपों महाकाली, महासरस्वती, महालक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है।साम्राज्य की इच्छा रखने वाले तथा यश और कीर्ति की भावना रखने वाले भक्तों की यहां तुरंत सुनवाई होती है।बड़े बड़े न्यायाधीश व ब्यूरोक्रेट्स यहां अपनी मनोकामनापूर्ण करवाने के लिए मंत्रों का जाप करवाते हैं।तंत्र पीठ के रूप में यह मंदिर विश्वविख्यात है।समस्त मनोकामनाऐं यहां से पूर्ण होती है।मंदिर के जीर्णोद्धार के संबंध में उन्होंने बताया कि पांचाल समाज के भक्तों ने सौलह लाख आहुतियां दी गई तथा तीन सौ इक्यावन हवन कुंडों में पांचाल समाज के यजमानों ने अपना सहयोग प्रदान किया है।प्रत्येक शिला की पूजा करके हवन करके, शुद्धिकरण करके उसे स्थापित किया गया है।कीर्ति स्तम्भ में सोने का बना हुआ है जिसमें करीब चार किलो सोना लगा हुआ है।

मन्दिर के चारों और सुंदर गार्डन तथा बच्चों के झूले मन्दिर को एक पिकनिक स्पोर्ट का रूप भी प्रदान करते हैं।

मंदिर ट्रस्ट की और से श्रद्धालुओं के रुकने के लिए सौ रुपये की दर से अच्छा व बड़ा कमरा किराये पर दिया जाता है तथा मात्र चालीस रुपये में भरपेट भोजन प्रसाद के रूप में दिया जाता है।

पांचाल समाज करता है प्रबंधन

पुरातनकाल से यहां पांचाल समाज के लोग ही व्यवस्थाएं देखते आ रहे हैं।सबसे पहले इसका जीर्णोद्धार लौहार समाज के पाता भाई ने करवाया था।जिसको आगे बढ़ाते हुए 2011 में गंगाराम पांचाल पीलोदा की अध्यक्षता में पांचाल समाज के प्रत्येक घर से सहयोग लेकर इस मंदिर को भव्य बनाया गया।समाज के प्रत्येक घर से इक्कतीस हजार से लेकर इक्कीस लाख रुपये का आर्थिक सहयोग दिया है।शिखर प्रतिष्ठा स्थापना में तीन सौ इक्यावन हवन कुंडों में पांचाल समाज के परिवारजन ने आहुति देते हुए हर परिवार ने लगभग एक लाख रुपये का सहयोग दिया।वर्तमान में भी इस ट्रस्ट के व्यवस्थापक पांचाल समाज के भक्त ही हैं जो अपनी बेहतरीन सेवाएं दे रहे हैं।ट्रस्ट के महामंत्री ने बताया कि इस मंदिर की व्यवस्थाओं को देखने के लिए पांचाल समाज की तरफ से त्रिपुरा सुंदरी व्यवस्थापक मंडल, पांचाल समाज चौदह चौखरा बनाया गया है।जिसमें पांचाल समाज के शिक्षित वर्ग तथा अधिकांश शिक्षकों को शामिल कर रखा है जो समय समय पर श्रद्धालुओं की भक्ति भावना को ध्यान में रखते हुए सुव्यवस्था देने का प्रयास करते हैं।रविवार 10 मार्च को माता के भक्त मनोज आहूजा व मनोज मिश्रा ने माँ के दरबार में हाजिरी लगाते हुए दर्शन किये जिनको मंदिर के मुख्य पुरोहित निकुंज मोहन पंड्या ने माँ का आशीर्वाद दिलवाकर विधि विधान के साथ पूजा करवाई व आशीर्वाद दिया।

इस मौक़े पर आहूजा ने बताया कि वर्ष 1998 में उन्होंने बांसवाड़ा लॉ कॉलेज में प्रवेश लिया था तबसे वो लगातार माँ का आशीर्वाद प्राप्त करते आ रहे उन्होंने बताया कि माता रानी ने उनकी सारी मनोकामनायें पूर्ण करते हुए उन्हें जीवन कि हर सौगात दी है वो माँ का आभार और धन्यवाद ज्ञापित करने हर दो माह में आते हैं तथा साल में एक बार अपने दोस्तों के साथ बस भरकर भी आते हैं।ताकि दोस्तों के परिवार पर भी माँ की कृपा दृष्टि बनी रहे और उनके भी सारे मनोरथ पूर्ण हो,उनके जीवन में खुशहाली बनी रहे।

रविवार को राज राजेश्वरी माता रानी त्रिपुरा सुंदरी देवी मंदिर के मुख्य महंत सम्मानीय निकुंज मोहन पंड्या जी को शिक्षा विभाग में बतौर आदर्श शिक्षक के रूप में 33 साल की गौरवशाली राजकीय सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत होने की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें देते हुए उनका माला व साफा पहनाकर अभिनन्दन भी किया गया।माँ त्रिपुरा सुंदरी की असीम कृपादृष्टि आप व आपके परिवार पर बनी रहे।

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