कोई भी व्यक्ति धन के अभाव में न्याय से वंचित नहीं हो सकता-मनोज आहूजा
लोक अदालत का मतलब है घर बैठे गंगा का आना-डॉ.अर्चना सुराणा
पैनल लॉयर मनोज आहूजा ने किया समझाईश का प्रयास
भिनाय 26 फरवरी (केकड़ी पत्रिका न्यूज़ पोर्टल/डॉ.मनोज आहूजा) कोई भी व्यक्ति धन के अभाव में न्याय से वंचित नहीं हो सकता यह बात मनोज आहूजा एक एक कार्यक्रम के दोरान कही है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के आदेश से पूरे देश की अदालतों में 9 मार्च को होने वाली लोक अदालत को सफल बनाने के उद्देश्य से ताल्लुका विधिक सेवा समिति की अध्यक्षा कुंतल जैन के निर्देश से सोमवार को पैनल अधिवक्ता मनोज आहूजा ने पंचायत समिति भिनाय के सभागार में डोर काउंसलिंग मीटिंग का आयोजन किया जिसमें भिनाय क्षेत्र से संबंधित 17 मामलों में समझाइश का प्रयास कर पक्षकारों को समझाया गया कि लोक अदालत के माध्यम से निपटने वाले प्रकरणों में समस्या का अंतिम निस्तारण होता है इसलिए अपने विवादों को लोक अदालत के माध्यम से निपटारा करना चाहिए।इस अवसर सहायक विकास अधिकारी अजीत कावड़िया,भिनाय सरपंच डॉ.अर्चना सुराणा,एडवोकेट शिवकुमार जोशी, एडवोकेट शिवचरण चौधरी,एडवोकेट गजानंद सिंह रावत,एडवोकेट शैलेन्द्र शर्मा भी मौजूद रहे।
इस अवसर पर पैनल लॉयर एडवोकेट मनोज आहूजा ने उपस्थित ग्रामीणों को सम्बोधित करते हुए बताया कि हमारे देश के संविधान के अनुच्छेद 39 ए में यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी व्यक्ति आर्थिक या अन्य किसी अक्षमता के कारणवश न्याय प्राप्त करने से वंचित नहीं हो सकता।इसी प्रावधान का लाभ भारत के प्रत्येक नागरिक को देने के लिए देश के ताल्लुका स्तर के न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने के लिए कार्यालय खोल रखे हैं।जिनके माध्यम से निःशुल्क विधिक सेवा उन लोगों को दी जाती है जो धन व अन्य अक्षमता की वजह से अपने प्रकरण की पैरवी करने में सक्षम नहीं है।
साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को कानून की जानकारी भी हो सके इसके लिए शिविरों का आयोजन किया जाता है ताकि आमजन कानून का पालन कर सकें जिससे कि समाज में शांति व्यवस्था बनी रह सके।उन्होंने बताया कि इस सेवा के लिए अनुसूचित जाति जनजाति के व्यक्ति तथा किसी भी श्रेणी की महिला व बच्चे वरिष्ठ नागरिक,कैंसर एवं एचआईवी पीड़ित व्यक्ति,ऐसे व्यक्ति जो अभिरक्षा में निरुद्ध हैं,ऐसे व्यक्ति जो मानव उद्योग व्यापार या समाज के सताए हुए हैं,मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति भी निशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने के अधिकारी है।
पैनल लॉयर आहूजा ने बताया कि यह व्यवस्था देश के सभी न्यायालयों में उपलब्ध है।उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष चार राष्ट्रीय लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है जिसकी तारीख राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निश्चित की जाती है और हर तीन महीने में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाता है जिसको सफल बनाने के लिए डोर स्टेप काउसलिंग भी एक माध्यम है।
उन्होंने कहा कि प्राधिकरण का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा मुकदमों का निस्तारण करना है तथा लोगों को न्याय दिलवाना है।उन्होंने बताया कि लोक अदालत में राजीनामे योग्य फौजदारी मामलों, मोटर दुर्घटना से संबंधित मामले, पारिवारिक न्यायालय से संबंधित मामलों सहित जिन दिवानी मामलों में राजीनामा हो सकता है तथा चैक अनादरण के मामलों को भी निपटाया जाता है।
इसलिए उन्होंने आमजन से भी अपील की है कि वो अपने विवादित मामलों को लोक अदालत में लेकर जाएं क्योंकि लोक अदालत की भावना से निस्तारण मामलों की कोई अपील नहीं होती बल्कि विवाद का अंतिम निस्तारण होता है।वहीं इस मौक़े पर भिनाय सरपंच डॉ.अर्चना सुराणा ने कहा कि लोक अदालत के माध्यम से न्याय आपको घर बैठे मिल रहा है।आप लोगों को इसका फायदा लेना चाहिए तथा विवादों का अंतिम रूप से निस्तारण करने के लिए अपने मामले को लोक अदालत में लेकर जाएं और विवाद का सदैव के लिए खात्मा कर शांतिपूर्वक अपना जीवन जिएं।सहायक विकास अधिकारी अजीत कावड़िया ने भी उपस्थित ग्रामीण पक्षकारों को सम्बोधित करते हुए अपने विवादों को राजीनामा के आधार पर निस्तारित करने की सलाह दी।
एडवोकेट शिवकुमार जोशी ने बताया कि लोक अदालत के दायरे में अब राजस्व विवाद भी आ चुके हैं ऐसे में यदि किसी का कोई राजस्व मामला विचाराधीन हो तो वो भी अपना मामला लोक अदालत में लेकर जाएं।