धनोप माता के दरबार में हर रविवार को उमड़ता है श्रद्धा का सैलाब
श्रद्धा भाव रखने वालों की मनोकामना होती है पूर्ण माँ के दरबार में
रुपपुरा के समाजसेवी रामदेव मोडीवाल के परिवार ने माता को भोग लगाकर की प्रसादी
धनोप 19 फरवरी (केकड़ी पत्रिका न्यूज़ पोर्टल/डॉ.मनोज आहूजा) शाहपुरा जिले के धनोप गांव में ऊँचे पहाड़ों पर माँ भगवती का चमत्कारी मंदिर बना हुआ है।श्रद्धालु माँ के दर्शन के साथ साथ वहीं मध्य रास्ते में विराजित भैरु जी के दर्शन भी करते हैं।जिस प्रकार वैष्णों देवी के मंदिर में श्रद्धालु दर्शन करने जाते समय भैरु जी के दर्शन करते हैं उसी प्रकार इस मंदिर में भी माँ के दर्शन के बाद भैरु जी के दर्शन किये जाने की परम्परा चली आ रही है।इस देवी माँ के दर्शन यूँ तो रोजाना ही खुले रहते हैं लेकिन रविवार को यहाँ भक्तों की ज्यादा भीड़ लगती है।माता के परम् भक्त व समाजसेवी रामदेव मूड ने बताया कि जनश्रुति है कि 90 फीट उंचे और 100 फीट चौड़े वर्गाकार टीले से रेत हटाते ही मां भगवती अपनी 7 बहिनों के साथ प्रकट हुईं,जिनमें श्री अष्टभुजाजी, अन्नपूर्णाजी,चामुण्डाजी,महिषासुर मर्दिनी व श्री कालका जी हैं।
इन पांचों मूर्तियो के दर्शन श्रृंगार होने पर होते हैं। मंदिर की प्राचीनता के बारे में उन्होंने बताया कि धनोप माता मंदिर लगभग 11 वीं शताब्दी पुराना है।इस मंदिर में विक्रम संवत 912 का शिलालेख भी जिससे मंदिर के ऐतिहासिक होने की पुष्टि होती है।एक उंचे टीले पर बना मंदिर बेहद प्राचीन संरचना है।शीतला माता का मंदिर भीलवाड़ा जिले के धनोप गांव में स्थित है,जिसकी वजह से इस मंदिर को धनोप माता मंदिर कहा जाता है. माना जाता है कि प्राचीन काल में धनोप एक समृद्ध नगर था जिसमें कई सुंदर मंदिर,भवन,बावड़ियां,कुण्ड बने थे।इस नगर में दोनों तरफ मानसी और खारी नदी बहती थी जो आज भी यहां मौजूद है।इस मंदिर में श्रद्धालुओं की बड़ी आस्था देखने को मिलती है।
भीलवाड़ा,शाहपुरा व अजमेर जिले सहित आसपास के छोटे मोटे 50 गाँवो के ग्रामीण भी अपनी श्रद्धा भावना लेकर यहाँ आते हैं तथा सामान्य जीवन से जुडी समस्याओं को माँ के दरबार में रखते हुए अपनी मन्नत मांगकर चले जाते हैं।जो पूरी होने पर श्रद्धानुसार भोग,प्रसाद,माला चढ़ाकर जाते हैं।श्रद्धालुओं का मानना है कि इस स्थान पर आने वाला भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है।माता के भक्त बालापुरा के सत्यनारायण जाट ने बताया कि जो भी श्रद्धालु यहां मन से मन्नत मांगते हैं उनकी मन्नत जरुर पूरी होती है।कई श्रद्धालु रविवार को भोग लगाकर प्रसाद का वितरण भी करते हैं तथा शनिवार शाम को जागरण या सुंदरकांड के पाठ का भी आयोजन करवाते हैं।
मंदिर के चारों और गाँव के सुंदर दृश्य नजर आते हैं मानो किसी हिल स्टेशन पर जाकर किसी मंदिर के दर्शन कर रहे हों।मंदिर के परिसर में भोजन इत्यादि सत्संग करने के लिए लगभग सभी समाज के भक्तजनों की धर्मशाला बनी हुई है।रविवार को माँ के दरबार में माता के परम् भक्त रुपपुरा निवासी समाजसेवी रामदेव जी मोडीवाल के परिवार की और से आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धालुओं का सैलाब देखने को मिला।
माँ के भोग लगाकर भोजन प्रसादी का आयोजन किया गया।जिसमें मोडीवाल परिवार द्वारा सेकड़ों भक्तो को भोजन प्रसादी ग्रहण करवाया गया।इस मौक़े माँ के अनन्य भक्त रामदेव मोडीवाल ने बताया कि बचपन से ही इस माँ के दरबार में दर्शन करते हुए घर परिवार व गांव की खुशहाली की दुआ करते आ रहे हैं।सच्चे भाव से आने वाले श्रद्धालुओं की मन्नत यहां से अवश्य पूरी होती है।उन्होंने बताया कि मंदिर के पुजारी द्वारा प्रतिदिन माँ की सुबह शाम पूजा आराधना की जाती है।तथा रविवार के दिन विशेष पूजा अर्चना करते हुए पूरे माँ के भक्तों के परिवार की सुख,शांति व समृद्धि के लिए दुआ मांगी जाती है तथा देश में अमन,चैन व खुशहाली बनी रहे उसके लिए आराधना की जाती है।आज भी कई श्रद्धालुओं ने माँ के दर्शन कर प्रसाद का भोग लगाया।
भोजन प्रसादी के इस कार्यक्रम में समाजसेवी एडवोकेट व पत्रकार डॉ. मनोज आहूजा व उनकी धर्मपत्नी व्याख्याता चंद्रावती तेजवानी के पहुँचने पर मोडीवाल परिवार की और से उनका हार्दिक अभिनन्दन कर स्वागत किया गया।