कृष्ण के साकार और निराकार दो रूप है साकार रूप आज भी वृंदावन से बाहर नहीं जाता है।
सावर 02 जनवरी (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल) निकटवर्ती ग्राम घटियाली में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के षष्टम दिवस कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए पं शिवलहरी गौतम ने महारास वर्णन करते हुए बताया कि रास पंचाध्याई भागवत के पंचप्राण हैं रास पंचाध्याई के पठन श्रवण से सहज ही वृंदावन की भक्ति प्राप्त हो जाती है रासके दो स्वरूप नित्यऔर नैमित्तिक हैं नित आज भी वृंदावन में दर्शनीय होता है जो आज भी चल रहा है बृंदावनम परित्याज्यपादमेकम,न गच्छति, नित्य स्वरूप पल भर के लिए भी वृंदावन से बाहर नहीं जाता, रासलीला कामलीला ना होकर बल्कि काम पर विजय प्राप्त करने वाली लीला है कृष्ण के दो रूप वह साकार है और निराकार भी है साकार स्वरूप आज भी वृंदावन से बाहर नहीं जाता है। पं गौतम ने आगे बताया भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा माली पर कृपा, रजक उद्धार कुब्जा अनुग्रह वर्णन करते हुए मामा कंस का वध किया ,गोपी उद्धव संवाद की सुंदर व्याख्या का वर्णन किया, श्री कृष्णा अवंतिकापुरी विद्या अध्ययन करने गए और 64 दिन में 64 विद्याओं को ग्रहण किया गुरु दक्षिणा में गुरु पुत्र लाकर के दिया विद्या अध्ययन के पश्चात द्वारकापुरी का निर्माण कराया और वहां के राजा द्वारकाधीश कहलाए द्वारका में भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मणी जी के साथ विवाह किया विवाह में भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी की झांकी सजाई वैवाहिक गीतों पर भक्त भावविभोर हो नृत्य करने लगे। इस अवसर पर भंवर लाल शर्मा,श्रवण शर्मा, नवल शर्मा, प्रेमचंद शर्मा, राजेश शर्मा, प्रेम वैष्णव, गोपाल वैष्णव आदि सेकड़ो भक्तजन भागवत कथा श्रवण करने के लिए उपस्थित रहे।