राजभवन में ‘विकसित भारत—2047’ पर हुई समूह चर्चा और विशद विमर्श ‘विकसित भारत—2047’ के लिए युवाओं की बढ़े भागीदारी विभिन्न क्षेत्रों की प्राथमिकताएं तय कर विकसित भारत के लिए अभी से हो कार्य प्रारंभ —राज्यपाल

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जयपुर, 11 दिसम्बर (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल) राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, शिक्षाविदों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों का आह्वान किया है कि ‘विकसित भारत—2047’ के लिए  शिक्षा के साथ—साथ विभिन्न अन्य क्षेत्रों में 8 से 9 प्रतिशत तक की विकास दर से देश को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने समावेशी विकास, अंतिम छोर तक विकास की पहुंच, बुनियादी ढांचे को मजबूत करते हुए  निवेश प्रोत्साहन और कौशल विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण में युवा शक्ति की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत की वैश्विक भूमिका के लिए विभिन्न क्षेत्रों की प्राथमिकताएं तय कर उन पर अभी से कार्य प्रारंभ किया जाए।

राज्यपाल श्री मिश्र ने सोमवार को राजभवन में ‘विकसित भारत 2047’ में सहभागिता की समूह चर्चा और ‘वॉयस ऑफ यूथ’ कार्यशाला में संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को उच्च शिक्षा क्षेत्र को सुदृढ़ करते हुए सशक्त और संपन्न भारत के लिए कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग ही देश के विकास के रथ के असली सारथी होते हैं। उन्हें विकसित भारत की सोच से अधिकाधिक जोड़ा जाए। उन्होंने विश्वविद्यालयों में ऐसे पाठ्यक्रम निर्मित करने की आवश्यकता जताई जिससे युवाओं को कौशल संपन्न करने के साथ ही उनकी भविष्य की दृष्टि को विकसित किया जा सके। उन्होंने कहा कि हमारे यहां ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित होनी चाहिए कि दूसरे देशों के विद्यार्थी भी भारत आकर पढ़ने के लिए प्रेरित हों।

श्री मिश्र ने आजादी के सौ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर 2047 तक शिक्षा व्यवस्था का पुनर्निर्माण करने, विदेश के अधिक से अधिक युवाओं को भारतीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने आने के लिए प्रेरित करने और उच्च शिक्षा में शोध और अनुसंधान की मौलिक दृष्टि के लिए जमीनी स्तर पर कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने अमेरिका, यूके, जापान, जर्मनी, सिंगापुर, साउथ कोरिया आदि देशों की शिक्षा प्रणालियों का अध्ययन कर 2047 में विकसित भारत में युवाओं की प्रत्यक्ष भूमिका सुनिश्चित करने के लिए भी सभी स्तरों पर कार्य करने का भी आह्वान किया।

राज्यपाल ने कहा कि वर्ष 2027 तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसकी पूर्ति में शिक्षा क्षेत्र की बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने देश में बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के साथ हर घर में स्वच्छ जल, बिजली की प्रभावी आपूर्ति सुनिश्चित करने और सभी को आवास और मूलभूत सुविधाएं प्रभावी रूप में उपलब्ध कराने के लिए भी कार्य करने पर जोर दिया।

विकसित भारत के निर्माण की प्राथमिकताओं और इसमें युवाओं की भागीदारी पर समूह चर्चा

इससे पहले राजभवन में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, शिक्षाविदों और युवाओं की समूह चर्चा में सशक्त और सक्षम भारतीय, संपन्न और टिकाऊ अर्थव्यवस्था, नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सुशासन और सुरक्षा तथा विश्व में भारत की स्थिति विषयों पर महती विमर्श हुआ। राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री सुबीर कुमार ने विकसित भारत के प्रमुख उद्देश्य बताते हुए इससे जुड़े अनछुए पहलुओं पर विचार करते हुए कार्य करने की दृष्टि प्रदान की। राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्द राम जायसवाल ने समूह चर्चा में संयोजक की भूमिका निभाते हुए आरम्भ में विकसित भारत—2047 के लिए नीति आयोग द्वारा निर्धारित प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों का यह मानना है कि विश्व के कुल सकल घरेलू उत्पाद में 15 प्रतिशत से अधिक का योगदान आने वाले समय में भारत देगा। समूह चर्चा में राज्यपाल सलाहकार बोर्ड के श्री ए. के. गहलोत, राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा, वर्धमान खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के. सी. सोडानी, बृज विश्वविद्यालय, भरतपुर के कुलपति प्रो. रमेश चंद्रा, मणिपाल विश्वविद्यालय के अध्यक्ष जी. के. प्रभु, इंडियन क्राफ्ट इंस्टीट्यूट की श्रीमती तूलिका गुप्ता सहित 60 से अधिक प्रतिभागियों ने विकसित भारत की प्राथमिकता क्षेत्रों पर अपने विचार रखे। इन सभी ने गांव और शहर का भेद मिटाते हुए शिक्षा की सब तक सुगम पहुंच, अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यकता के अनुरूप युवा शक्ति को सक्षम करने, भविष्यवादी और समावेशी दृष्टिकोण के अनुरूप कार्य करने में सभी की समान भूमिका पर व्यावहारिक कार्य करने के सुझाव दिए।

राजभवन में सोमवार प्रात: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्चुअल रूप में विकसित भारत—2047 के संबंध में विस्तार से अपनी बातें रखी। उन्होंने देशभर के विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों से परामर्श के ‘वॉयस ऑफ यूथ’ कार्यक्रम के प्रभावी प्रसार के लिए भी वातावरण निर्माण पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री श्री मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान के राजभवन में हुए जीवंत प्रसारण के बाद राजभवन में युवाओं, शिक्षाविदों और कुलपतियों के सुझावों को राज्यपाल श्री मिश्र ने स्वयं बैठकर सुना और उनके आलोक में विकसित भारत—2047 के लिए सभी को मिलकर कार्य करने का आह्वान किया।

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