वायुसेना विद्यालय का 41 वां वार्षिकोत्सव आयोजित- राष्ट्र विकास के लिए विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण की शिक्षा जरूरी —राज्यपाल

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जयपुर, 1 दिसम्बर(केकड़ी पत्रिका न्यूज़ पोर्टल) राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि राष्ट्र विकास के लिए विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण की शिक्षा सभी स्तरों पर जरूरी है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थान सांस्कृतिक सरोकार रखते हुए मानव मूल्यों और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर अपने यहां शिक्षा प्रदान करें। उन्होंने देश में स्थापित वायुसेना विद्यालयों की स्थापना के इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि इनमें भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों से जुड़ी शिक्षा को अधिकाधिक बढ़ावा दिया जाए।श्री मिश्र शुक्रवार को झालाना स्थित राजस्थान इन्टरनेशनल सेंटर में वायु सेना विद्यालय के 41 वें वार्षिकोत्सव में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश पर जब भी दुश्मन सेनाओं ने आक्रमण किया है, वायुसेना ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने एयरफोर्स स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को वायुसेना की गौरवमयी परम्परा की संस्कृति से जुड़ने और जीवन में निरंतर आगे बढ़ते हुए ज्ञान की भारतीय परम्परा से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।उन्होंने कहा कि यह स्कूल प्रारंभ हुए तब इन्हें एयर फ़ोर्स सेंट्रल स्कूल के नाम से जाना जाता था। इन विद्यालयों की स्थापना के पीछे मकसद यह था कि भारतीय वायु सेना में कार्य करने वाले कार्मिकों के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। पर यह सुखद है कि सेना के साथ इनमें आम नागरिकों के लिए भी शिक्षण की व्यवस्था है।श्री मिश्र ने संविधान की भारतीय संस्कृति के बारे में भी विद्यार्थियों को विस्तार से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक अधिकारों के साथ हमें कर्तव्य पालन के लिए भी सदा सजग रहना चाहिए।राज्यपाल ने अनुशासन, अच्छी प्रबंध व्यवस्था, समय की मांग के अनुसार शिक्षण सुविधाओं के विस्तार के लिए जयपुर स्थित वायु सेना स्कूल की सराहना भी की। इससे पहले उन्होंने विद्यार्थियों को संविधान की उद्देशिका का वाचन कराते हुए मूल कर्तव्य पढ़कर सुनाए। उन्होंने प्रतिभावान विद्यार्थियों को इस अवसर पर सम्मानित किया। विद्यालय प्रबन्ध समिति अध्यक्ष ग्रुप कैप्टन विनय भारद्वाज, विद्यालय प्राचार्या श्रीमती सीमा भाटी ने आयोजन के बारे में जानकारी दी। विद्यालय के विद्यार्थियों ने इस मौके पर राजस्थान के गौरव से जुड़ी गाथाओं पर विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी।

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