अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश संख्या दो ने बलात्कार के आरोपी को किया बरी

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केकड़ी,27 नवंबर (केकड़ी पत्रिका न्यूज पोर्टल) अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश संख्या दो ने चांदोलाई निवासी प्रहलाद जाट पुत्र नाथू जाट को बलात्कार का प्रयास करने,बलात्कार करने तथा जान से मारने की धमकी के आरोप से दोषमुक्त करने के आदेश पारित किए

अधिवक्ता ने बताया :आरोपी के अधिवक्ता डॉ.मनोज आहूजा ने बताया कि आरोपी के खिलाफ पीड़िता ने सात जनवरी 2018 में पुलिस थाना सरवाड़ में मुकदमा दर्ज करवाकर आरोप लगाया कि वह शादी शुदा है तथा करीब एक माह पहले सुबह के चार बजे वह अपने बाड़े में भैंस की दुआरी करने जा रही थी तभी आरोपी ने उसे अकेली को जाते देख जबरदस्ती पकड़ लिया और गलत हरकत करने लगा मना करने पर वह नहीं माना और उसे मकान में ले गया और जान से मारने की धमकी देकर उसके साथ खोटा काम किया।चिलाने पर कोई नहीं आया।

उक्त घटना की जानकारी उसने अपनी माँ को दी तो उसने लोक लाज के चलते रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई।इसी प्रकार दस दिन पूर्व रात में करीब 12 बजे शराब पीकर घर में घुस गया और दुष्कर्म करने लगा चिलाने पर माँ आ गई इस पर आरोपी भाग गया।

इसी प्रकार तीन जनवरी को वह जीमने के लिए जा रही थी तब गली में अकेला देखकर उसे पकड़ लिया और गलत हरकत करने लगा चिलाने पर उसकी बहिन आ गई तब वह भाग गया और धमकी देकर गया कि किसी को बोला तो जान से मार दूंगा।

उक्त रिपोर्ट पर पुलिस थाना सरवाड़ ने मुकदमा दर्ज कर अनुसंधान किया गया।बाद अनुसंधान आरोपी के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट पेश की इस पर अभियोजन की और से गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए।बचाव पक्ष की और से एडवोकेट डॉ. मनोज आहूजा,भेरूसिंह राठौड़,रवि शर्मा ने पैरवी करते हुए तर्क दिया कि पीड़ित ने आरोपी के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करवाया है।पीड़िता द्वारा रिपोर्ट में जो तथ्य बताए गए हैं उसकी मेडिकल साक्ष्य से कोई पुष्टि नहीं हो रही है तथा पीड़िता व उसकी माँ ने जो बयान दिए हैं उन बयानों से अभियोजन की कहानी संदेह से परे प्रमाणित नहीं हो सकी है क्योंकि उन्होंने अभियोजन की कहानी का समर्थन नहीं किया है।

मौखिक साक्ष्य तथा मेडिकल साक्ष्य में भी आपस में विरोधाभास होने तथा गवाहों के बयानों में भी भारी विरोधाभास होने के तथ्य प्रस्तुत किये इसके साथ ही हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक दृष्टांत प्रस्तुत कर आरोपी को बरी करने का निवेदन किया।आरोपी के अधिवक्ताओं के तर्को से सहमत होते हुए न्यायाधीश ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने के आदेश पारित किए।

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